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एनआईटीईएस ने विप्रो के खिलाफ कार्रवाई को लेकर केंद्रीय श्रम मंत्री को लिखा पत्र

बेंगलुरू।  नैसन्ट सूचना प्रौद्योगिकी कर्मचारी सीनेट (एनआईटीईएस) ने शनिवार को श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री भूपेंद्र यादव से सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की।

एनआईटीएस के अनुसार विप्रो अपने मूल्यांकन दिशानिर्देशों के अनुपालन के बावजूद 2000 से अधिक छात्रों / कर्मचारियों की कार्यभार ग्रहण तिथि को स्थगित कर रहा है।
एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलुजा ने कहा, कर्मचारियों के कार्यभार संभालने का समय अगस्त 2022 तक पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन मूल्यांकन, साक्षात्कार, इंटर्नशिप, प्रशिक्षण और पृष्ठभूमि सत्यापन के बावजूद विप्रो कार्यभार संभालने की तारीखों को स्थगित कर रही है। एक वर्ष से इन कर्मचारियों को एक रुपया तक नहीं मिला है।

पत्र में उन्होंने लिखा, इस पत्र के माध्यम से हम आपके तत्काल हस्तक्षेप करने और 2000 से अधिक छात्रों एवं कर्मचारियों के कल्याण, अधिकारों और परिवारों की रक्षा करने की मांग कर रहे हैं। श्री सलुजा ने कहा कि विप्रो से बढ़ा हुआ वेतन और उन्हें एक वर्ष बाद नौकरी मिलने की उम्मीद में छात्रों एवं कर्मचारियों ने अन्य कंपनियों से मिले अवसरों को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि कंपनी ने अब उन्हें यह कहते हुए अस्वीकृति ईमेल भेजना शुरू कर दिया है कि वे इसके आंकलन दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं थे।

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श्री सलुजा ने कहा, इसके अलावा विप्रो के कार्यकारी चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने दावा किया है कि 300 कर्मचारियों को मूनलाइटिंग और नैतिक मूल्य का पालन न करने के आधार पर निकाल गया है। यहां मूनलाइटिंग से तात्पर्य है कि एक ही समय में एक कंपनी और उनकी प्रतिद्वंदी कंपनी के साथ काम करना है जिसे अनैतिक माना जाता है। उन्होंने कहा कि छात्रों एवं कर्मचारियों का आंकलन और साक्षात्कार पिछले वर्ष अक्टूबर और नवंबर में हुआ था और नवंबर 2021 में उनका चयन होने पर उन्हें ईमेल भेजा था। इन्हें जनवरी 2022 में वार्षिक 3,50,000 रुपये का प्रस्ताव पत्र जारी किया गया था।

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