सत्संग के बाद जब भगदड़ मची और मधुकर को पता चला कि लोगों की मौत हो गई है तो वह अपने कुछ खास सेवादारों को लेकर मौके से भाग गया। अपने और साथियों के सभी मोबाइल भी बंद करा दिए थे। घरों पर भी सूचना दे दी थी कि वह सभी कहीं चले जाएं। पुलिस का कहना है कि सत्संग के दौरान जब पुलिस कर्मी पंडाल में जाने को हुए तो उन्हें रोक दिया गया। इतना ही नहीं वीडियोग्राफी जब करने की कोशिश की गई तो सेवादार पुलिस की टीम से भिड़ गए थे। इन लोगों ने न तो खुद व्यवस्था संभाली और न ही पुलिस को संभालने दी।
देवप्रकाश मधुकर ने एसडीएम सिकंदराराऊ के समक्ष सत्संग की अनुमति के लिए जो आवेदन किया था, उसमें 80 हजार लोगों के आने की उम्मीद जताई थी। लेकिन आयोजकों ने यहां डेढ़ लाख से भी अधिक की भीड़ इकट्ठा कर ली। भीड़ में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। पंडाल में जितने लोग बैठे थे उससे ज्यादा पंडाल के बाहर थे। पुलिस का कहना है कि भगदड़ में मरने वाले सभी 121 लोग पंडाल के बाहर ही बैठे थे। पंडाल वाले लोग तो उस वक्त तक बाहर आ ही नहीं आ सके थे। हाथरस एसपी निपुण अग्रवाल ने आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि आयोजकों ने भीड़ के बीच से बाबा का काफिला गुजारा था। इससे ही हालात बिगड़ गए। दूसरे सेवादारों ने भी भीड़ के साथ धक्का-मुक्की की, जिससे भगदड़ मची।
मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर भी अपने साथियों को लेकर मौके से फरार हो गया था। बाद में किसी से संपर्क भी नहीं किया। एसपी ने बताया कि उसे हाथरस पुलिस ने ही दिल्ली से गिरफ्तार किया है। उसकी गिरफ्तारी पर पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित कर रखा था।
पुलिस बोली- आयोजकों व सेवादारों ने ऐसे बिगाड़े हालात
- 80 हजार की भीड़ जुटने की बात कही लेकिन इकट्ठा की डेढ़ लाख।
- पंडाल में जितने लोग थे, उससे ज्यादा बाहर बैठा दिए गए थे।
- पानी का भी पर्याप्त इंतजाम इनके द्वारा नहीं किया गया।
- भीड़ के बीच से बाबा के काफिले को गुजारा गया था।
- पुलिस वालों को वीडियोग्राफी तक नहीं करने दी गई।
- भीड़ को बाबा के काफिले से दूर करने के लिए धक्का-मुक्की की गई।
- कई सेवादारों ने लोगों पर लाठियां तक भांजी थीं।
- भगदड़ में गिरीं महिलाओं की सुध तक किसी ने नहीं ली।
- मदद करने की बजाय सभी मौके से हो गए थे फरार।
- आयोजकों द्वारा भगदड़ की सूचना भी प्रशासन को नहीं दी गई।
मधुकर दिल्ली से गिरफ्तार
सिकंदराराऊ हादसे के मुख्य आरोपी एक लाख के इनामी देवप्रकाश मधुकर की शुक्रवार देर शाम दिल्ली से गिरफ्तारी के बाद उसके दो और साथी शनिवार को गिरफ्तार कर लिए गए। जिनमें से फिलहाल देवप्रकाश सहित दो को कोर्ट में पेशी के बाद जेल भेजा जा सका है। मुख्य आरोपी से हुई पूछताछ में उसके राजनीतिक दलों से संपर्क और फंड जुटाने की बात सामने आई है। जिसके चलते पुलिस टीमें अन्य एजेंसियों की मदद से फंडिंग आदि को लेकर भी जांच कर रही हैं। संबंध में शनिवार को पुलिस लाइन में प्रेस कांफ्रेंस में पुलिस अधीक्षक हाथरस निपुण अग्रवाल ने बताया कि दो जुलाई को गांव फुलरई मुगलगढ़ी में हुए हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस संबंध में दर्ज मुकदमे में मुख्य आरोपी मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर फरार था। जिस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। उसकी तलाश में जुटी रेंज स्तर पर गठित एसओजी टीम ने शुक्रवार देर शाम दिल्ली के नजफगढ़ इलाके से गिरफ्तार किया था।
सूचना के आधार पर शनिवार सुबह उसके साथी रामप्रकाश शाक्य को कैलोरा चौराहा से और संजू यादव को गोपालपुर कचौरा से गिरफ्तार किया गया। इससे पहले छह आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। इस तरह घटना में मुख्य आरोपी सहित कुल नौ आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। गिरफ्तारी प्रक्रिया के बाद दोपहर में पुलिस ने देवप्रकाश व संजू यादव को कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। वहीं देरी होने के कारण रामप्रकाश को कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका। उसे रविवार को रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
मधुकर सहित दो आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा
गांव फुलरई मुगलगढ़ी में हुए हादसे के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर और अन्य आरोपी संजू यादव को शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जय हिंद कुमार सिंह के न्यायालय में पेश किया गया। दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। तीसरे आरोपी रामप्रकाश को कागजी औपचारिकताएं पूरी न होने की वजह से न्यायालय में पेश नहीं किया जा सका। अभियोजन अधिकारी राजकुमार, सहायक अभियोजन अधिकारी कृपाशंकर यादव व आशीषवीर सिंह ने बताया कि पुलिस ने दोनों आरोपियों को मय एफआईआर और अन्य दस्तावेजों के साथ न्यायालय में पेश किया।