बनारसी साड़ी में बुना राष्ट्रीय तिरंगा झंडा
वाराणसी । आजादी (national tricolor flag) के अमृत महोत्सव और हर घर झंडा अभियान को देखते हुए काशी की हजारों साल प्राचीन बुनकरी परंपरा को नई दिशा मिली है। बनारसी साड़ी बनाने वाले जुलाहे अब अपने ताना-बाना में भारत का राष्ट्रीय तिरंगा झंडा (national tricolor flag) बुन रहे हैं।
बुनकर समाज के लोगों ने कहा, ”आम हथकरघा मशीन से तिरंगे की बुनाई करते तो तीनों रंगों और अशोक चक्र की बुनाई अलग से करनी पड़ती। इसमें 2-3 दिन लग सकता है। प्लास्टिक के छोटे झंडों को भी यह रिप्लेस कर सकता है।
क्योंकि, इसका रेट उसी के आसपास ही जाएगा। सबसे यूनीक यह कि इसे बिल्कुल बनारसी साड़ी की ही तरह सालों साल हिफाजत से रखा जा सकता है। मगर, डिजिटल पंचकार्ड एक ही बार में पूरी डिजाइन बुन दे रही है।
सोलह आने बनारसी साड़ी के जैसे, मानें कि फैब्रिक का कपड़ा, रेशम के धागे, वही हथकरघा, वही बुनकर और वही कारीगरी आपको इस तिरंगे में दिख जाएगी। तिरंगे में केसरिया, सफेद और हरा के बीच अशोक चक्र को रेशम के धागे से बुना गया है।
इससे बनारसी साड़ी बुनने वाले काशी के लाखों कारीगरों की कंगाली तो कम होगी। नित्या ने कहा, ”जो बुनकर बनारसी साड़ी बनाकर काशी के लोक परंपरा काे हजार साल से जिंदा बनाए हुए थे, अब यह राष्ट्रीय झंडा उन्हें भारत के भरी बाजार में सिर उठाकर जीने देगा।