राष्ट्रीय

नासा का (NASA’s)आर्टिमिस अभियानके अंतिम चरण में 

नासा का (NASA’s) महत्वाकांक्षी अभियान आर्टिमिस-1 का प्रक्षेपण 29 अगस्त को निश्चित हो गया है. नासा 50 साल बाद एक बार फिर चांद इंसान को भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू कर देगा. पिछले कई महीनों से यह अभियान टलता आ रहा था. इससे बताया जा रहा है कि एक नए युग की शुरुआत होगी और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कई तरह के बदलाव देखने को भी मिलेंगे. लेकिन फिलहाल यह समझना जरूरी है कि आखिर आर्टिमिस-1 अभियान में क्या क्या होगा, इससे इस पूरे अभियान के अगले चरणों को क्या क्या फायदे होंगे और इस चरण पर पूरी दुनिया की नजरें क्यों टिकी हुई हैं.

तीन हिस्सों में पूरा होगा अभियान
आर्टिमिस अभियान के तीन हिस्से हैं यानि यह अभियान तीन चरणों में पूरा होगा जिसका अंतिम लक्ष्य चंद्रमा पर इंसानों को लंबे समय के लिए ठहराना है.लेकिन इसके पहला चरण 29 अगस्त को शुरू होने वाला है जो बिना किसी क्रू सदस्यों वाला अभियान होगा. इसमें नासा अपने नए स्पेस लॉन्च सिस्टम नाम के रॉकेट का परीक्षण करेगी और उसके साथ पहले बार ओरियॉन क्रू कैप्सूल का भी परीक्षण होगा.

कैसे होगा प्रक्षेपण
प्रक्षेपण के समय रॉकेट के चार RS-25 इंजन और उसके पांच बूस्टर अधिकतम 39 लाख किलो से ज्यादा का बल पैदा करेंगे. प्रक्षेपण के कुछ ही समय बाद सर्विस मॉड्यूल और लॉन्च अबोर्ट सिस्टम भी चालू हो जाएंगे. इसके बाद कोर इंजन बंद हो जाएंगे और कोर चरण रॉकेट से अलग हो जाएगा.

पृथ्वी के बाद चंद्रमा की ओर
लॉन्च के बाद अंतरिक्ष यान पहले पृथ्वी का चक्कर लगाएगा और उसके सौर पैनल काम करना शुरू कर देंगे. इसके बाद अंतरिम क्रायोजेनिक प्रपल्शन स्टेज ओरियॉन क्रू कैप्सूल को धक्का देगा जिससे वह पृथ्वी की कक्षा के बाहर चला जाएगा. इसके बाद वह चंद्रमा की ओर बढ़ने लगेगा और इसी दौरान वह आईसीपीएस से अलग हो जाएगा.
स्पेस, नासा, मून, यूएसए, वर्ल्ड, आर्टेमिस-आई, एसएलएस रॉकेट, ओरियन क्रू कैप्सूल, लॉन्ग स्पेस मिशन, स्पेस रेस, इस अभियान में ओरियॉन (Orion) कैप्सूल चंद्रमा का छह दिन तक चक्कर लगाएगा. )
चंद्रमा के छह दिन तक चक्कर
इसके बाद ओरियॉन छह दिन तक चंद्रमा की कक्षा में रह कर उसका चक्कर लगाएगा और जरूरी आंकड़े जमा कर पृथ्वी की ओर वापस लौटेगा. छह सप्ताह की यात्रा के बाद ओरियॉन पृथ्वी की कक्षा में वापस प्रवेश करेगा और कड़ी निगरानी में कैलिफोर्निया के तट पर निर्धारित जहाज के पास समुद्र में उतरेगा.

एसएलएस रॉकेट लाएगा नया युग
वास्तव में यह परीक्षण शक्तिशाली एसएलएस रॉकेट का परीक्षण होगा जो विशेष तौर पर चंद्रमा जैसे अभियान के लिए भारी भरकम यान और ईंधन आदि के प्रक्षेपण के लिए ही डिजाइन किया गया है. इससे पहले अपोलो अभियानों में चंद्रमा पर यान भेजने के लिए सैटर्न V रॉकेट का उपयोग किया गया था. इससे अब नई पीढ़ी के रॉकेट की शुरुआत होने जा रही है.

स्पेस, नासा, मून, यूएसए, वर्ल्ड, आर्टेमिस-आई, एसएलएस रॉकेट, ओरियन क्रू कैप्सूल, लॉन्ग स्पेस मिशन, स्पेस रेस,नासा की आर्टिमिस योजना भविष्य में उत्खनन की संभावनाओं को भी ध्यान में रख कर बनाई गई है.
भविष्य में होगा उपयोगी
इस अभियान की सफलता अंतरिक्ष अनुसंधान में तेजी लाने का काम करेगी. इस अभियान के कई और अभियान भी जुड़े हैं. इसके जरिए नासा चंद्रमा पर एक स्थायी बेस बनाने की तैयारी शुरू करेगा. इस बेस का उपयोग नासा के अगले दशक में मंगल पर जाने वाले मानव अभियान के लिए किया जाएगा. इसके साथ ही यह अन्य लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी उपयोगी होगा.

अमेरिका और नासा ने चंद्रमा के इस अभियान को केवल प्रतिष्ठा के प्रश्न के लिए ही नहीं चुना है. बल्कि यह भविष्य को देखते हुए दूरगामी सोच के साथ बनाई गई योजना है. चंद्रमा में शोधकार्य के अलावा उत्खनन की संभावनाओं क वजह से वहां आवागमन तेज होगा और आने वाले समय में वर्चस्व की लड़ाई तक देखने को मिल सकती है. नासा ने इसी को देखते हुए आर्टिमिस समझौता तैयार किया था. इस सब को देखते हुए आर्टिमिस अभियान इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा और इसी लिए दुनिया के तमाम देशों की इस पर निगाहें जमी हुई हैं.

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button