धर्म - अध्यात्म
myth: क्यों चर्चा में है ये गुफा, यहां से पांडवों ने बनाई थी 500 KM की सुरंग
रायपुर/पेंड्रा.छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में पेंड्रा से करीब 14 किलोमीटर दूर स्थित धनपुर गांव के बारे में कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के एक साल यहीं बिताए थे। यहां की पांडव गुफा के बारे में मान्यता है कि वहां से एक सुरंग सोहागपुर (एमपी) तक जाती है जिसे पांडवों ने बनाया था। हाल ही में तालाब में जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मूर्ति मिलने के बाद धनपुर फिर से चर्चा में है। पांच सौ किलोमीटर लंबी सुरंग!…
– धनपुर और आस-पास के इलाके में पौराणिक इतिहास की कई किवंदतियां प्रचलित हैं।
– यहां की पहाड़ी पर एक रहस्यमय गुफा है, जिसे पांडव गुफा कहा जाता है।
– मान्यता है कि गुफा का दूसरा चार-पांच सौ किलोमीटर दूर सोहागपुर (एमपी का शहडोल जिला) में है।
– कहा जाता है कि धनपुर से सोहागपुर जाने के लिए पांडवों ने यह सुरंग खुद बनाई थी।
– ग्रामीणों के मुताबिक गुफा के अंदर घुप अंधेरे में अब कोई ज्यादा दूर जा नहीं सकता न अधिक देर ठहर सकता है।
– गुफा में 30 फीट अंदर तक कई देवी-देवताओं की ऐतिहासिक प्रतिमाएं रखी हुई हैं।
– ग्रामीण कई सालों से इनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
रोज एक तालाब बनाते थे पांडव
– कहते हैं, पांडवों ने माता कुंती के साथ अज्ञातवास के 12 साल में एक साल ग्राम धनपुर में बिताए थे।
– धनपुर में रहते हुए पांडवों ने रोज एक तालाब बनाए। यानी कुल 360 तालाब बने।
– इनमें से 100 तालाब आज भी हैं। बाकी बहुत से तालाबों को गहरा कर ग्रामीणों ने खेत बना लिए हैं।
जमीन में दफन इतिहास
– ऐतिहासिक सबूत बताते हैं कि धनपुर 9वीं-10वीं सदी में एक विकसित शहर था।
– जाने-अनजाने खुदाई में उस समय के भवनों के अवशेष, मूर्तियां, मंदिर आदि मिलते रहते हैं।
– आठवीं-दसवीं शताब्दी की जैन तीर्थंकरों एवं अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां मिल चुकी हैं।
– यहां एक मां दुर्गा का एक प्राचीन मंदिर है, जिसका रीकंस्ट्रक्शन कराया जा रहा है।
तालाब गहरीकरण के दौरान मिली मूर्ति
– धनपुर में तालाब गहरीकरण के दौरान खुदाई में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की दुर्लभ ऐतिहासिक प्रतिमा मिली है।
– ग्रामीणों से मिली सूचना के बाद प्रशासन ने मूर्ति को जब्त कर ट्रेजरी में सुरक्षित रखवा दिया है।
कई मूर्तियां चोरी
–जैन तीर्थंकर आदिनाथ, बाहुबली, नेमीनाथ सहित कई देवी देवताओं की मूर्तियां धनपुर से चोरी हो चुकी हैं।
– ग्रामीणों ने गांव में मिलने वाली मूर्तियों को संरक्षित करने की मांग कई बार प्रशासन से की है।