सड़क के अभाव में 200 से अधिक परिवारों ने बलुवाकोट ग्राम पंचायत का पोखरी गांव छोड़ दिया है। ये परिवार अब पंजाब, दिल्ली, हल्द्वानी समेत अन्य स्थानों पर बस गए हैं। पोखरी गांव के लोग दशकों से डेढ़ किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर बलुवाकोट बाजार तक पहुंचते हैं।
थकाव भरी डेढ़ किमी यात्रा के चलते लोगों का गांव से मोह भंग होने लगा है। कुछ लोगों ने बलुवाकोट बाजार में मकान बना लिया है तो कुछ बाजार में कमरा किराए पर लेकर जीवनयापन कर रहे हैं। पोखरी गांव में लोगों के लिए मकान बनाना बेहद मुश्किल है क्योंकि सामान की ढुलान काफी महंगी पड़ती है।
लोगों को एक कट्टा सीमेंट, बजरी और गैस सिलिंडर गांव तक पहुंचाने के लिए 150 रुपया भाड़ा देना पड़ता है। बीमार लोगों को डोली के सहारे डेढ़ किमी की खड़ी चढ़ाई से अस्पताल ले जाना पड़ता है। क्षेत्रवासी दशकों से सड़क की मांग उठाते आ रहे हैं।
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इस तरह तो पूरा गांव ही हो जाएगा खाली कुछ समय पहले लोनिवि अस्कोट ने तल्ला पोखरी से मल्ला पोखरी, छेड़ा, रमतोली तक सड़क निर्माण का सर्वे किया था लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि अगर सड़क नहीं बनी तो गांव धीरे-धीरे पूरा खाली हो जाएगा।
दशकों से लोग सड़क की मांग कर रहे हैं। सड़क निर्माण के लिए हुए सर्वे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सड़क के अभाव में 200 से अधिक परिवार पंजाब, दिल्ली, हल्द्वानी आदि स्थानों पर बस गए हैं। सड़क निर्माण होता तो गांव से पलायन भी रुकता।