आधुनिकता कपड़ों से नहीं अपितु बौद्धिकता से : प्रो० एस० के० सिन्हा !
जौनपुर- ( शंभु नाथ) – वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के इनक्यूबेशन सेंटर में प्रबंध अध्ययन संकाय एवं आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चायन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी विषयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020: क्रियान्वयन एवं अपेक्षित परिणाम का आयोजन शनिवार को किया गया। बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर संजय कुमार सिन्हा, प्रबंध अध्ययन संकाय, चौधरी रणबीर सिंह, विश्वविद्यालय, जींद, हरियाणा ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता क्यों पड़ी? बर्तानिया सरकार ने सबसे पहले डाउनवार्ड फिल्टरेशन थ्योरी लागू की जिसमे भारत के उच्च वर्ग के एक छोटे से हिस्से को शिक्षित करना था ताकि एक ऐसा वर्ग तैयार हो जो रंग और खून से भारतीय हो लेकिन विचारों, नैतिकता तथा बुद्धिमत्ता में ब्रिटिश हो।
इसी आधार पर लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति बनाई गयी जिसके तहत केवल सरकारी नौकर तैयार करना था। चूंकि भारत अब विश्व का सबसे अधिक जनसँख्या वाला देश बन गया है इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रोजगारपरक शिक्षा पर जोर दिया गया है। छात्रों को चाहिए कि वो अपना स्वोट एनालिसिस कर अपने रूचि के अनुरूप रोजगारपरक शिक्षा का चयन करें। विश्वविद्यालीय डिग्री केवल छात्र को पात्रता का प्रमाण पत्र देता है। यद्यपि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां है मसलन सिलेबस में एकरूपता न होने के कारण मल्टीप्ल एंट्री-एग्जिट लागू करने में कठिनाई, अकादमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट में सभी छात्र छात्राओं का अकाउंट संधारण करना इत्यादि।
इसके पश्चात दून विश्वविद्यालय के प्रबंध अध्ययन संकाय के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर एच० सी० पुरोहित ने छात्रों को बताया कि भारत आज विश्व की पाचवीं आर्थिक व्यवस्था बन चुका है और 2024 के शुरुआत में चौथी आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा तथा विश्व की सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश भी है। देश के कुल कामगारों का 95% कामगार असंगठित क्षेत्र में काम करता है। ऐसे में यह जरूरी है कि एक ऐसी शिक्षा नीति होनी चाहिए जिससे संगठित क्षेत्रों का अधिक एवं त्वरित गति से निर्माण हो सके जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से संभव है।
आजादी से पहले निजी क्षेत्र का महत्व रहा तथा आजादी के बाद सार्वजनिक क्षेत्रों का निर्माण हुआ। अब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का महत्व है। कोविड के बाद भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुयी अर्थव्यवस्था रही। इसी दौरान भारत ने “वसुधैव कुटुम्बकम” की अवधारणा पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रबंधन संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष तथा मानव संसाधन विकास के विभागाध्यक्ष प्रो.अविनाश डी. पाथर्डीकर ने की। विषय प्रवर्तन प्राध्यापक सुशील कुमार ने किया।