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Ministry of Rural Development : अब भी देश में 26.9 करोड़ लोग गरीब, देखें पूरी खबर

नई दिल्ली। Ministry of Rural Development : अब भी देश में 26.9 करोड़ लोग गरीब, देखें पूरी खबर… ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से लोकसभा में गरीबी रेखा से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए बताया गया है कि देश की 21.9 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। हालांकि ये आंकड़े 2011-12 के बताए जा रहे हैं, क्योंकि आगे के गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वालों की संख्या का हिसाब ही नहीं लगाया गया। याद आ रही है 1956 की वो फिल्म जागते रहो। दरअसल आजादी के बाद जागते रहो शब्द अच्छा लगता था लेकिन अब आजादी के 75वें साल में हम अगर कहे कि जागो सोने वालों! तो शायद अच्छा नहीं लगेगा।

Ministry of Rural Development : इस राज्य के 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे

लेकिन रिपोर्ट के जरिये जगाने की कोशिश जरूर होगी। कोई इंसान किस हाल से गुजरता होगा। जब उसके सामने भूख से तड़पते बच्चे हो और घर में अनाज का एक दाना तक न हो। वैसे तो जब देश आजाद हुआ था उस वक्त करीब 80 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी। लेकिन देश के आजादी के अमृत महोत्व यानी 75 सालों में ये घटकर 22 फीसदी से नीचे आकर ठहर गई है। सुनने में ये कानों को सुकून देने वाले आंकड़ें हैं।

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लेकिन अब एक इसके विस्तार में जाते हुए आपको थोड़ा चैकातें हैं और सुकून से सिकन की ओर भी ले जाते हैं। आजादी के समय 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे थे, लेकिन अब इनकी संख्या 26.9 करोड़ बताई जा रही है। जी हां, सही पढ़ा आपने 26 करोड़ से ज्यादा। इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से एक स्टोरी की गई है जिसमें बताया गया है कि ये आंकड़ा लोकसभा में सरकार की ओर से दिया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से लोकसभा में गरीबी रेखा से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए बताया गया है कि देश की 21.9 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।

Ministry of Rural Development : हालांकि ये आंकड़े 2011-12 के बताए जा रहे हैं

हालांकि ये आंकड़े 2011-12 के बताए जा रहे हैं, क्योंकि आगे के गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वालों की संख्या का हिसाब ही नहीं लगाया गया। आंकड़ों के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाली सबसे ज्यादा आबादी छत्तीसगड़ की है। झारखंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश और यूपी ऐसे राज्य हैं, जहां 30 फीसदी या उससे ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीती है। साल 2011-12 में गरीबों की संख्या का पता लगाने वाला आंकड़ा जारी किया गया था।

Ministry of Rural Development : जिसे आज तक इस्तेमाल किया जा रहा है

जिसे आज तक इस्तेमाल किया जा रहा है। लोकसभा में भी सरकार की तरफ से यही आंकड़े दिए गए। जिसे तेंदुलकर कमेटी के फार्मूले के आधार पर निकाला गया था। इसके मुताबित गांव में रहने वाला कोई व्यक्ति हर दिन 26 रुपये और शहरी व्यक्ति 32 रुपये खर्च कर रहा है। तो वो गरीबी रेखा से नीचे नहीं आएगा। यानी, गांव में रहने वाला व्यक्ति हर महीने 816 रुपये और शहरी व्यक्ति एक हजार रूपये खर्च कर रहा है तो वो गरीबी रेखा से नीचे नहीं आएगा।

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