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बुनकरों के लिए निर्धारित हो न्यूनतम बिजली का दाम : अजय कुमार लल्लू

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा में उठाया बुनकरों का सवाल, आयोग बनाने की मांग

लखनऊ। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व तमकुहीराज विधायक अजय कुमार लल्लू ने विधानसभा में नियम 51 के तहत बुनकरों का सवाल प्रमुखता से उठाया। उन्होंने जारी बयान में कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस ने कृषि क्षेत्र के विकास के साथ-साथ करघा उद्योग को विकसित करने, बुनकरों की आर्थिक उन्नति के लिए उप्र के कई जिलों में हथकरघा उद्योग की कई छोटी-बड़ी इकाइयां स्थापित की और उनकी बेहतरी के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई थी, ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध हो और कपड़ा के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर बने। अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जब तक कांग्रेस की सरकार रही यह उद्योग फलता-फूलता रहा। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद यह क्षेत्र नई सरकारों द्वारा लगातार उपेक्षित होता चला गया। जिसका परिणाम यह है कि लगभग 80 प्रतिशत हथकरघा उद्योग बन्द हो चुका है। लाखों परिवारों के रोजगार छिन चुके हैं। जौनपुर, खलीलाबाद, अम्बेडकरनगर, अमरोहा, बाराबंकी, इलाहाबाद, सीतापुर आदि जनपदों में करघा उद्योग लगभग बन्द ही हो चुका है। जबकि मऊ, टाण्डा, भदोही, वाराणसी, गोरखपुर आदि जनपदों में जहां चल रहे हैं वहां भी हालत काफी दयनीय है। उन्होंने कहा कि बुनकरों के लिए बुनियादी सुविधाओं का भयानक अभाव है। बुनकर करघा बेचकर पलायन कर रहे हैं। बुनकरों के हुनरमंद हाथ रिक्शा-ठेला खींचने को मजबूर हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने नियम 51 के तहत सवाल उठाते हुए बुनकरों के लिए मांग की कि बुनकरों के बिजली का बिल किसानों की भांति फिक्स किया जाए। प्रति लूम विद्युत दर पूर्व की भांति न्यूनतम निर्धारित किया जाए। करघा इकाइयों को अपग्रेड किया जाए। जिससे पूर्वांचल में काटन उत्पादों का निर्माण हो सके। उन्होंने कहा कि कॉटन उद्योग के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह अनुदान देकर साइजिंग प्लान्ट लगाए जाएं।जौनपुर, मगहर, बाराबंकी, अकबरपुर, अमरोहा, मऊ, गाजीपुर के बन्द पड़े करघा मिलों को फिर से शुरू किया जाए। साथ ही साथ वाराणसी, गोरखपुर, टाण्डा, मऊ और सन्तकबीर नगर जैसे बड़े बुनकर क्षेत्रों को इण्डस्ट्रियल एरिया घोषित कर वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। अजय लल्लू ने मांग की कि करघा उद्योग द्वारा उत्पादित वस्त्रों के लाभदायक मूल्य पर बिक्री के लिए पहले की तरह यूपिका हैण्डलूम कार्पोरेशन को संचालित किया जाए। बुनकरों को रंग, धागा आदि कच्चे माल की खरीद और उत्पाद की बिक्री पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाए और उनके उत्पाद के रखरखाव का समुचित प्रबंध किया जाए। बुनकरों को तकनीकी व कौशल प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश में कम से कम दो सरकारी प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएं। बुनकर हित के लिए कांग्रेस शासन में बनाये गये राम शाह कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया जाए। बुनकरों के आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की समस्याओं को दूर करने के लिए अन्य आयोगों की भांति बुनकर आयोग का गठन किया जाए। उन्होंने मांग की कि हथकरघा उद्योग के बेहतरी के लिए ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाए।

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