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बादलों में पहली बार मिला माइक्रोप्लास्टिक(बादलों)

टोक्यो. जापानी शोधकर्ताओं ने एक शोध में बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स ने अंततः बादलों (बादलों) तक अपना रास्ता खोज लिया है. शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि इसका समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु परिवर्तन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. उन्‍होंने कहा है कि ये बड़ी चेतावनी है और तुरंत प्‍लास्टिक को लेकर कड़े कदम उठाने होंगे वरना आने वाले समय में इसे रोका नहीं जा सकेगा. ये मानव शरीर और वातावरण के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं.

वासेदा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हिरोशी ओकोची और अन्य के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने बादलों से एकत्र किए गए पानी के 44 नमूनों की जांच की. विश्लेषकों ने पाया कि पानी में माइक्रोप्लास्टिक के कम से कम 70 कण थे. इसे कानागावा प्रान्त में योकोहामा के पश्चिम में माउंट फ़ूजी के शिखर और तलहटी और माउंट तंजावा-ओयामा के शिखर पर पहाड़ों से जमा किया गया था. इस टीम ने अपने शोध पत्र में लिखा है कि हमारी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार, यह बादल के पानी में वायुजनित माइक्रोप्लास्टिक्स पर पहली रिपोर्ट है.

जलवायु को गंभीर नुकसान होने की आशंंका
रिसर्चर ने कहा है कि यदि समन्वित प्रयासों के माध्यम से बादलों में उनकी उपस्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो माइक्रोप्लास्टिक जलवायु और मानव शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. वासेदा विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक हिरोशी ओकोची ने कहा कि अगर ‘प्लास्टिक वायु प्रदूषण’ के मुद्दे को सक्रिय रूप से संबोधित नहीं किया गया, तो जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक जोखिम एक वास्तविकता बन सकते हैं, जिससे भविष्य में अपरिवर्तनीय और गंभीर पर्यावरणीय क्षति हो सकती है. उन्होंने कहा कि जब बादल की ऊंचाई पर सूर्य के प्रकाश और पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में आते हैं, तो माइक्रोप्लास्टिक्स ग्रीनहाउस गैसों में योगदान कर सकते हैं.

माइक्रोप्लास्टिक क्या हैं?
माइक्रोप्लास्टिक्स,दरअसल प्लास्टिक के ऐसे कण होते हैं जिनका आकार 5 मिलीमीटर से कम होता है. वे विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होते हैं, जिनमें औद्योगिक अपशिष्ट, कपड़ा, सिंथेटिक कार टायर समेत बहुत कुछ शामिल हैं. ये सूक्ष्म कण समुद्र के सबसे गहरे हिस्सों में मछलियों के अंदर पाए गए हैं, जो पूरे आर्कटिक समुद्री बर्फ में बिखरे हुए हैं. वहीं, फ्रांस और स्पेन के बीच फैले पायरेनीज़ पहाड़ों में बर्फ को ढकते हैं. हालाँकि, माइक्रोप्लास्टिक को लेकर बहुत कम रिसर्च हुई हैं और इसके बारे में कम जानकारी है कि आखिर ये बादलों तक कैसे पहुंच गई?

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