पटवारी व जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेहात्मक

शिवाकान्त पाठक
जिले के अधिकतर पटवारी हल्कों में भूमाफियाओं की दखल है वजह है पटवारियों की सांठगांठ, जाहिर है ऐसे में अवैध प्लाटिंग की शिकायत राजस्व अधिकारियों तक पहुचाए कौन,अगर पहुँच भी जाए तो पटवारी रिपोर्ट बनाकर देने में हिलहवाला करता है और ऐसे ही अवैध प्लाटिंग में अपनी जीवनभर की जमा पूंजी लुटा देता है आम आदमी,और अवैध प्लाटिंग से मालामाल हो जाते हैं भूमाफिया और हल्का पटवारी। कम कीमत की जमीनों को करोड़ो की बनाने में कागजों में फेरबदल करने के लिए यहाँ राजस्व के अधिकारी व पटवारी देर नहीं करते!
यकीन मानिए कुछ ऐसे ही पटवारियों नें आय से अधिक संपत्ति जोड़ लेने की वजह से एन्टी करप्शन ब्यूरो के दायरे में हैं, कुछ की लिखित शिकायत है जिस पर जांच जारी है लेकिन कुछ मामले सालों से लंबित है जिससे इन कुबेर पुत्रों की काली कमाई दिन दूगनी और रात चौगुनी होती जा रही है।
इसका एक छोटा सा उदाहरण देखना हो तो हरिव्दार जिले में कहीं भी चले जाइये जहाँ पटवारियों और भूमाफियों की यारी का नजारा शहर के आस पास के क्षेत्रों में की जा रही अवैध प्लाटिंग में साफ साफ नजर आता है। जिनकी शिकायत भी कई बार जनकल्याण सेवा ट्रस्ट हरिव्दार व्दारा की गई परन्तु ठंडे बस्ते के हवाले कर दी गई!
कहते हैं कि इन पटवारियों और भूमाफियाओं की कारगुजारियों की लिखित शिकायत के बाद भी राजस्व महकमें के उच्च अधिकारी मतलब शासन और प्रशासन कार्यवाही करने की बजाय मौन बैठे हैं!