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मेघालय-त्रिपुरा-नागालैंड के चुनावी(Election) नतीजे आज

नई दिल्ली. पूर्वोत्तर के तीन चुनावी (Election) राज्यों (मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है. इन राज्यों के चुनावी परिणाम बृहस्पतिवार को सामने आ जाएंगे जो इस बात का संकेत देंगे कि भाजपा ने 2018 में वाम दलों से उनके गढ़ त्रिपुरा को छीनने के बाद से वहां अपनी जड़ें मजबूत की हैं या नहीं. चुनावी परिणामों से यह भी स्पष्ट होगा कि पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों की सत्ता पर काबिज भाजपा मेघालय तथा नगालैंड में अपनी पैठ और मजबूत करने में सफल हुई है या नहीं या फिर विपक्ष उसके प्रभाव में सेंध लगाने में कामयाब रहा है.

तीन राज्यों में त्रिपुरा ऐसा राज्य है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर सबकी निगाहे हैं क्योंकि वैचारिक रूप से यहां जीत दर्ज करना भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि क्योंकि पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और वाम दलों ने राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए पहली बार हाथ मिलाया है. पिछली बार के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 36 और आईपीएफटी ने आठ सीटें जीती थीं.

1. त्रिपुरा विधानसभा की 60 विधानसभा सीट के लिए 16 फरवरी को मतदान हुआ था. इस दौरान कुल 23.13 लाख मतदाताओं में से 89.90 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. त्रिपुरा में करीब 25,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. इस चुनाव में विभिन्न दलों के 259 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.

2. धारा 144 के तहत पूरे त्रिपुरा में एक मार्च को शाम छह बजे से तीन मार्च शाम बजे तक निषेधाज्ञा लागू की गई है, ताकि इस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हो सके. हालांकि, आवश्यक सेवाओं एवं परीक्षार्थियों को इस प्रतिबंध के दायरे से दूर रखा गया है.

3. त्रिपुरा में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आईपीएफटी (इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) गठबंधन सत्ता पर कब्जा बरकरार रखने की कोशिश में है. वहीं, वाम-कांग्रेस गठबंधन ने भी सत्ता छीनने की भरकस कोशिश की है. क्षेत्रीय संगठन टिपरा मोथा स्वायत्त परिषद चुनावों में अपने शानदार प्रदर्शन के बाद विधानसभा के चुनाव मैदान में पहली बार उतरा है.

4. नागालैंड के 60 विधानसभा क्षेत्रों में से 59 में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव हुए थे, जहां 13.16 लाख में से 85.90 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था. वहीं, 1 मार्च को चार मतदान केंद्रों पर हुए पुनर्मतदान में 3,248 मतदाताओं में से 72.29 प्रतिशत से अधिक ने वोट डाला.

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