ब्रिटेन में नहीं मिल रहे छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए पुरुष टीचर

एक तरफ जहां (male teacher) दुनिया में महिला-पुरुषों की बराबरी पर जोर दिया जा रहा है। वहीं, ब्रिटेन में छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए पुरुष टीचर (male teacher) नहीं मिल रहे हैं। 2002 के बाद से इंग्लैंड की फायर ब्रिगेड में महिला कर्मियों की संख्या 1.7% से बढ़कर 7.5% पहुंच चुकी है। देश की एक तिहाई पुलिस अफसर महिलाएं ही हैं।
ये समस्या खासतौर पर प्री-स्कूल में देखी जा रही है, जहां कुल शिक्षकों में से महज 3% ही पुरुष हैं। वहां के पुरुष छोटे बच्चों को पढ़ाने में गर्व की बजाय उनकी सार-संभाल करने से जोड़कर देख रहे हैं। इसलिए वो नर्सरी स्कूलों में जाने से बच रहे हैं। हालांकि, वेतन कम होने और समाज में काम की स्वीकार्यता कम होने से पुरुष इस पेशे में नहीं जुड़ रहे।
2020 में एक अध्ययन में सामने आया था कि जो पुरुष शिक्षक जुड़ते भी हैं, वो महिलाओं की तुलना में जल्दी नौकरी छोड़ रहे हैं। पुरुष शिक्षकों के इस रवैए ने वहां की सरकार और विशेषज्ञों को भी चिंता में डाल दिया है। उनका मानना है कि अगर प्री-स्कूल में पुरुष शिक्षकों की संख्या नहीं बढ़ी, तो वे इस धारणा को कभी तोड़ नहीं पाएंगे कि बच्चों की देखभाल सिर्फ महिलाओं का काम है।
भले ही पुरुष शिक्षक नहीं मिल रहे। पर मुश्किल पेशे में महिलाएं, पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। नर्सरी के छोटे बच्चों की देखभाल को वे सिरदर्द मानते हैं। सरकार का मानना है कि छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए पुरुषों का होना सकारात्मक होता है।