मांस खाने वाले इस बैक्टीरिया ( bacteria)से बना लें दूरी
मांस खाने बैक्टीरिया: हमें कई बार खरोंच आ जाती है. चोट लग जाती है और हम उसे हल्के में लेते हैं. अपने मन से कुछ लगा लिया या कुछ दवाएं खा लीं. तमाम लोग तो इसे यूं ही छोड़ देते हैं. हालांकि कई बार ऐसी चोट पार इन्फेक्शन होने के कारण जान भी जा सकती है. जान जाने का कारण वो बैक्टीरिया ( bacteria) जो आपके मांस को खा जाता है.
मांस खाने वाले एक ऐसे ही बैक्टीरिया का शिकार अमेरिका में 11 साल का लड़का भी हुआ. जेसी ब्राउन को ट्रेडमिल पर दौड़ते वक्त उसके टखने में चोट आ गई थी. इससे उसके शरीर में एक ऐसा बैक्टीरिया घुस गया जो पूरी बॉडी को ही कुतरने लगा और आखिरकार उसने बच्चे की जान ले ली. इस घटना ने पूरे परिवार को दहला दिया.
जेसी ब्राउन के चचेरे भाई ने बताया कि जेसी एक्सरसाइज कर रहा था तभी वह गिर गया. चोट की जगह पहले डार्क ब्राउन, फिर बैगनी और लाल निशान आ गया. उसे आईसीयू में ले जाया गया, जहां पता चला कि उसे एक अजीब संक्रमण हो गया है. यह बाद में यह मांस खाने वाले बैक्टीरिया में बदल गया. इससे जेसी के मस्तिष्क में सूजन आ गई और उसकी मौत हो गई.
मीट ईटिंग बैक्टीरिया से जुड़ा यह पहला मामला नहीं था. भारत में भी इसी तरह की एक मौत कुछ वर्ष पहले हो चुकी है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक शख्स की ‘मांस खाने वाले बैक्टीरिया’ के इंफेक्शन से मौत हो गई थी. 44 साल के मृतक का नाम मृमोय रॉय था. वह माध्यमग्राम का रहने वाला था. कुछ दिनों पहले वह ट्रेन से गिर गया था. इस वजह से लोहे की रोड उसके निचले हिस्से से रगड़ गई थी और वह घायल हो गया था. उसके बाद व्यक्ति को मांस खाने वाले बैक्टीरिया ने अपनी चपेट में ले लिया जिससे उसकी मौत हो गई.
डॉक्टरों का कहना है कि मांस खाने वाले बैक्टीरिया को मेडिकल की भाषा में नेक्रोटाइजिंग फैशिआइटिस कहते हैं. इस तरह का इंफेक्शन बहुत कम लोगों को होता है. यह चमड़ी और उसके टिशु के नीचे होता है. अगर इसका समय पर पता न चले और इलाज जल्दी शुरू न हो तो यह तुरंत इंसान की जान ले लेता है.
मांस खाने वाला बैक्टीरिया रक्त कोशिकाओं पर सबसे पहले हमला करता है. इससे खून की बहाव रुक जाता है और वह टिशु तक नहीं पहुंचता. इसके बाद पूरे शरीर में खून का बहाव रुक जाता है. अमेरिका में हर साल औसतन 600 से 700 मरीज इस अजीब बैक्टीरिया के हमले का शिकार होकर अस्पतालों में उपचार के लिए आते हैं.