मध्य प्रदेश के नगर निकाय( municipal elections) चुनाव के नतीजों में बड़ा उलटफेर

ग्वालियर. मध्य प्रदेश के नगर निकाय चुनाव ( municipal elections) की पहले चरण की मतगणना रविवार को हुई. कुल 11 नगर निगमों के महापौर पदों में से 7 पर भाजपा, 3 पर कांग्रेस और 1 पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली है. प्रदेश के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, बुरहानपुर, सतना, खंडवा और सागर में महापौर पद के लिए भाजपा के प्रत्याशी विजयी घोषित किए गए. जबकि ग्वालियर, जबलपुर और छिंदवाड़ा में कांग्रेस तथा सिंगरौली में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ने महापौर पद पर जीत दर्ज की.
बीजेपी ने 4 निगम गंवा दिये. जबलपुर और ग्वालियर में बड़ा उलटफेर देखने को मिला. जबलपुर में जहां 18 साल बाद, वहीं ग्वालियर में 57 साल बाद कांग्रेस ने महापौर पद पर कब्जा किया. ग्वालियर में कांग्रेस की शोभा सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार सुमन शर्मा को 28,805 मतों से पराजित किया.
केंद्रीय मंत्रियों के बीच खींचतान की खबरें
ग्वालियर में बीजेपी की महापौर प्रत्याशी को लेकर बैठकों का लंबा दौर देखा गया. यहां भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा सबसे आखिर में की थी. इस दौरान यह खबरें आईं कि दो केंद्रीय मंत्रियों के बीच प्रत्याशी को लेकर खींचतान है. दोनों अपने-अपने पसंद के व्यक्ति को टिकट दिलाने चाहते थे. जब सभी बड़े शहरों के प्रत्याशी घोषित हो चुके थे तब भाजपा ने सुमन शर्मा के नाम की घोषणा की थी. इससे माना जा रहा था कि भाजपा को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. हालांकि खबरों के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर आकर सुमन शर्मा का प्रचार किया था.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा भी चुनाव से पहले प्रचार के दौरान नाराज हो गए थे. जब भाजपा ने ग्वालियर नगर निगम के लिए वचन पत्र जारी किया था तो होटल में अनूप मिश्रा को मंच पर जगह नहीं दी गई थी. इस दौरान अनूप कार्यक्रम से उठकर सीधे घर चले गए थे. हालांकि बाद में प्रत्याशी सुमन शर्मा, अनूप मिश्रा के घर गई थीं. उन्होंने अनूप मिश्रा के पैर छुए और माफी भी मांगी थी. इसके बाद अनूप ने अपनी नाराजगी छोड़ दी थी. अब परिणामों के बाद इस बात की भी खूब चर्चा है.
टिकट वितरण को लेकर भी थी नाराजगी
ग्लालियर में भाजपा को टिकट वितरण में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी. कई पार्षद प्रत्याशियों को टिकट नहीं मिले तो नाराज हो गए. नाराजगी के बाद भाजपा के ही कुछ कार्यकर्ता बागी हो गए और भाजपा के ही खिलाफ मोर्चा खोल दिया. प्रचार के दौरान ये खबरें भी रहीं कि भाजपा के ही बागी कार्यकर्ता महापौर प्रत्याशी के खिलाफ भी माहौल बना रहे हैं. यह भी माना जा रहा है कि बागी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का खामियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ा है.