सोचे विचारें

मां ज्वाला देवी मंदिर* नवीन निर्माण दास्तान !

विचार सूचक – वर्तमान समय में बिंदकी तहसील के अंतर्गत में होने वाली भ्रष्टाचार का सबसे जिंदा और स्पष्ट उदाहरण आजतक मैने निजी तौर में कभी भी देखा जिसमे नेता से लेकर पूरे सिस्टम ने भ्रष्टाचारी गिरोह की तरह काम किया, चुकीं मेरा घर मंदिर के नजदीक है तो मैंने इस पूरी घटना को अंजाम कैसे दिया गया काफी हद तक देखा है भ्रष्टाचार होना इस देश में कोई कोई नयी बात नही है लेकिन इस बार जिस तरह हुवा वो चौंकाने वाली घटना है जिसमे एसडीएम महोदया, तहसीलदार रोज खड़े होके काम कराते थे दिन में एक दो छुटभैये नेता ,पत्रकार समाजसेवी, विधायक, जिलाधिकारी की पैनी नजरो के नीचे कार्य हुवा,

( कार्य इस प्रकार कराया गया मानो कोई मेला लगाना है महीने दस दिन का सजावट के नाम पर खम्भो में झालर लपेट दी गई कुछ खम्भे स्ट्रीट लाइट वाले लगा दिए गए पर सब कुछ पूरी सिद्दत के साथ हुवा और महानुभावों ने ये तक नही पूछा की खुले आसमान में इन झालरों की उमर कितनी, जल निकासी की व्यवस्था , बिना पिलर की दीवारें वो भी जहां नई मिट्टी डाली गई हो, आर्टिफिशियल बाउंड्री वॉल, वैसे ये सब मुझे बताने की जरूरत नही रोड से निकलते हुवे एक नजर डालिए सब स्पष्ट हो जाएगा )

खैर जो एक सफ़ल भ्रष्टाचार के मानक होने चाहिए उनमें भ्रष्टाचारी दस्ते को शत प्रतिशत नंबर मिलने चाहिए , भ्रष्टाचार की मिशाल पेश हुई विचलित करने वाली बात ये नही है विचलित मैं इसलिए हूं की जिस प्रकार एक प्रसिद्ध धार्मिक जगह पर भ्रष्टाचार हुवा क्या ये उस ज्वाला मां के साथ छल नही हुवा जिसे सजाने संवारने का काम इन विधर्मियो को दिया गया था ये भी बात सहनीय हो सकती है पर इस पर न कोई तलवार हाथ में लेके जय श्री राम जय माता के नारे लगवा कर फोटो डालने वाले लोग संगठन , किसकी लडकी भागी, किसने बीवी से मार पीट की किसकी भैंस चोरी हो गई किस नेता ने कहा कहा एक पुदीने की झाड़ लगा दी चाटने वाले सॉरी छापने वाले पत्रकार और मेरा भाई का जन्मदिन मेरी बहन का जन्मदिन सोशल मीडिया की नरकी सेना , एक दर्जन केले को एक दर्जन लोग मिलकर बाटने वाले समाजसेवी,

बीस रुपए का पेट्रोल और तीन सौ रुपए की ड्रेस पहन कर विधायक जी को बप्पा कहने वाले युवा नेता,,, किसी ने भी एक आवाज़ नही उठाई एक सवाल नही पूछा के ये क्यूं हुवा क्या ये धर्म पर घात नहीं है किसी का मन विचलित नहीं हुवा क्या हम इतने भयभीत हैं इन सत्ताधारियों से की एक शब्द न निकला न किसी की कलम से न किसी के ज़ुबान से , विचलित करने वाली बात ये है ……की मां के साथ अपघात हुवा और हमारी ज़ुबान नहीं खूली मां अर्थात् स्नेह मां मतलब प्रेम मां अर्थात पवित्रता हमारी आंखों का पानी ऐसे मरा की कुछ नहीं दिख रहा , हे मां ज्वाला मैं असमर्थ हूं इन पाप के भागियों को दंड देने में तू तो सर्व समर्थ है तू तो दंड विधान है ऐसा दंड दे दुबारा किसी मंदिर किसी मस्जिद किसी गिरजे में ऐसी दुष्टता करने की किसी किसी की हिम्मत न पड़े…।।।

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