लखनऊ

लखनऊ पुलिस की बड़ी सफलता: हरियाणा से बरामद हुआ लापता नाबालिग, एएचटी टीम ने अब तक 4 बच्चों को किया सुरक्षित !

लखनऊ -: कमिश्नरेट लखनऊ की अपराध शाखा के थाना एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करते हुए एक 15 वर्षीय नाबालिग बालक को हरियाणा राज्य के करनाल से सकुशल बरामद कर लिया है। यह बच्चा 27 फरवरी 2024 से लापता था और उसके गुमशुदगी का मुकदमा आशियाना थाना क्षेत्र में दर्ज हुआ था। बालक को 31 मई 2025 को हरियाणा से बरामद कर परिजनों को सुपुर्द किया गया।प्राप्त जानकारी के अनुसार, वादी द्वारा थाना आशियाना पर 27 फरवरी 2024 को अपने नाबालिग पुत्र की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

प्रारंभिक विवेचना थाना आशियाना द्वारा की गई, लेकिन बाद में संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) के आदेश पर मामले को थाना एएचटी को स्थानांतरित कर दिया गया। विवेचक उपनिरीक्षक हेमन्त कुमार द्वारा लगातार होटल, आश्रय गृह, चौराहों, सड़क किनारे ठेलों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर व्यापक खोजबीन की गई, किंतु लंबे समय तक कोई सफलता नहीं मिली।इसी दौरान 25 मई 2025 को हरियाणा राज्य के करनाल थाना सिटी के एएसआई देवेंद्र ने दूरभाष पर लखनऊ पुलिस को सूचना दी कि एक किशोर उनके पास पहुंचा है, जो लखनऊ में दर्ज एक गुमशुदगी केस से संबंधित है। सूचना मिलते ही लखनऊ पुलिस की टीम मुकदमा वादी के साथ करनाल पहुंची और बालक की पहचान सुनिश्चित कर उसे विधिक प्रक्रिया के तहत संरक्षण में लिया गया। बालक का मेडिकल परीक्षण कराकर धारा 161 व 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज कराए गए हैं।

मामले में अन्य विवेचनात्मक कार्रवाई अभी जारी है।इस कार्रवाई में उपनिरीक्षक हेमन्त कुमार व उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह की भूमिका सराहनीय रही। पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ के पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), डीसीपी अपराध व एडीसीपी अपराध के निर्देशन में कार्य कर रही एएचटीयू ने हाल के एक महीने में लखनऊ और अन्य राज्यों से कुल 4 नाबालिगों को सकुशल बचाने में सफलता प्राप्त की है।इसके अलावा, एएचटीयू पिछले दो महीनों में ‘अपना घर आश्रम’ एनजीओ के सहयोग से भिक्षावृत्ति व मानव तस्करी की रोकथाम में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही है। इस दौरान 93 पुरुष, 18 महिलाएं, 21 भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चे, 6 महिलाएं और 2 पुरुषों को भी रेस्क्यू कर पुनर्वास की दिशा में प्रयास किए गए हैं।लखनऊ पुलिस की यह कार्रवाई न केवल गुमशुदा बच्चों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि मानव तस्करी और बाल शोषण जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध एक मजबूत संदेश भी देती है।

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