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भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाया-सारस्वत जी महाराज

किशनी।नगर में थाने के सामने सिद्धपीठ शिव मन्दिर पर चल रही भागवत कथा में बुधवार को बृन्दावन के बाल व्यास सारस्वत जी ने कृष्ण की बाललीलाओं व गोवर्धन लीला की कथा सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। शनिवार को कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन में ही मां यशोदा के आगन में खेल-खेल में कई असुरों का वध कर दिया था। जिस समय मां यशोदा और नन्द बाबा सहित पूरा गाव इंद्र की पूजा करने की तैयारियों में जुटा था तब श्रीकृष्ण ने अनजान बनकर नन्दबाबा से पूछा बाबा ये क्या हो रहा है। जब बाबा ने पूरी कहानी बतायी तो श्रीकृष्ण जिद कर गये कि आज बिना बोलने व खाने वाले के स्थान पर मेरे बोलने व खाने वाले देवता की पूजा होगी। बाबा नन्द व मा यशोदा सहित पूरे गाव के ग्रामीणों ने उनको समझाने का प्रयास किया पर उन्होंने एक न मानी और गोवर्धन पर्वत की पूजा की। अपना अपमान देख नाराज इंद्र ने मूसलाधार वर्षा कर दी। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उगंली पर उठा लिया और पूरे गांव को बचा लिया। इंद्र को जब इस आभास हुआ कि ये तो साक्षात भगवान हैं तो इंद्र ने आकर अपना मत्था भगवान के चरणों में टेक दिया। उसी दिन से आज तक गोवर्धन पर्वत की सात कोस की परिक्रमा के साथ पूजा की जाती है। जिससे मानव शरीर का उद्धार भी हो जाता है।,इस अवसर पर विनोद गुप्ता,प्रमोद चौहान,कवींद्र चौहान,मधुवन सिंह चौहान,विनय गुप्ता,श्यामसुंदर,मदनलाल, शिवा चौहान,विवेक गुप्ता,हिमान्शु चौहान,मुकेश शर्मा,सोनू चौहान आदि मौजूद रहे।

 

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