उत्तर प्रदेश

हर मामले में रावण से श्रेष्ठ थे भगवान राम : प्रेमभूषण महाराज

जौनपुर -: बीआरपी इण्टर कॉलेज के मैदान में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह के पावन संकल्प से प्रायोजित सात दिवसीय रामकथा के पाँचवें दिन कथा शुरू होने से पहले मुख्य यजमान ज्ञान प्रकाश सिंह ने सपरिवार व्यासपीठ का पूजन किया और भगवान की आरती उतारी। तत्पश्चात कथा शुरू हुई। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि भारत भूमि धर्म की भूमि है, तीर्थों की भूमि है, ऋषि मुनियों की भूमियों की है, धर्मशील आचरण करने वाले महापुरुषों की भूमि है, साधु-संतों की भूमि है।

राघव जी की कृपा से देश को धर्मशील प्रशासक मिला है तो सनातन धर्म की बाधा मिट रही है। पूज्यश्री ने कहा कि राम और रावण की एक ही राशि थी। रावण ने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था और भगवान राम क्षत्रिय कुल में जन्मे थे। कुल तो रावण का श्रेष्ठ था लेकिन जब हम दोनों के व्यवहार की बात करते हैं, आचरण की बात करते हैं, आहार और विहार की बात करते हैं तो रामजी हर मामले में रावण से श्रेष्ठ थे। रामजी और रावण दोनों शिव उपासक हैं लेकिन एक की पूजा संसार के लोगों को संताप देने के लिए तो दूसरे की पूजा संसार को शांति प्रदान करने के लिए है।

राघव जी की कृपा देश को मिला है धर्मशील प्रशासक समर्पण से ही बढ़ता है विश्वास, जीवन में तीरथ करना जरूरी ज्ञानप्रकाश के सौजन्य से राममय हुआ जौनपुर शहर

श्री महाराज ने कहा कि धर्मार्थी ज्ञानप्रकाश सिंह के सौजन्य से ही यह रामकथा सुनाने का सौभाग्य हुआ और उनके प्रयास से ही जौनपुर शहर राममय हुआ। श्री महाराज ने कहा कि समाज में आम लोग श्रेष्ठ के ही आचरण का अनुकरण और अनुसरण करते हैं। ऐसे में सभी श्रेष्ठ व्यक्तियों के लिए आवश्यक है कि वह अपने आचार, व्यवहार, आहार में श्रेष्ठता का प्रदर्शन करें जिनका अनुकरण किया जा सके। भारतीय सनातन संस्कृति में यह बार-बार प्रमाणित हुआ है कि जो भी व्यक्ति धर्म पथ पर चलते हुए संसार में विचरण करते हैं उनके घर से दुख भी दूरी बनाकर रहता है और ऐश्वर्य स्वयं चलकर उनके घर पहुंचते हैं। पूज्य श्री ने कहा कि महर्षि वाल्मिकी की यह शिक्षा मनुष्य को हमेशा याद रखने की आवश्यकता है कि भगवद प्रसाद का रस अपने आप प्राप्त नहीं होता है उसके लिए प्रयास करना होता है।

 श्रीमहाराज ने कहा कि हर किसी के पास अपनी व्यथा की एक अलग ही कथा है जिसे सुनकर किसी का भी मन विचलित हो जाता है लेकिन जब हम प्रभु की कथा सुनते हैं तो चाहे किसी भी विधि से सुनते हैं तो मन में एक आनंद और नए उत्साह का निर्माण होता है।

पूज्य श्रीमहाराज ने कहा कि अगर हम कर्तव्य करते हैं तो अधिकार की प्राप्ति स्वत: ही हो जाती है लेकिन अगर किसी को बिना वजह कुछ प्राप्त हो जाता है तो उसे उसी समय सावधान हो जाने की जरूरत है क्योंकि अनाधिकार कुछ भी जो प्राप्त होता है वह विष के समान है और जीवन में दुख ही दुख प्राप्त होता है।

उदाहरण स्वरूप महाराज ने कहा कि भैया भरत ने राजगद्दी इसलिए नहीं संभाली क्योंकि राजगद्दी पर राजा राम का अधिकार था भैया भरत उस पर अपना अधिकार नहीं मानते थे। यहां तक की पूज्य गुरुदेव जी की आज्ञा का उल्लंघन करते हुए भी उन्होंने गद्दी पर राजा राम जी का ही अधिकार माना और राजा राम जी का राज्याभिषेक करने के लिए वह सदल बल चित्रकूट की ओर रवाना हो गए। श्रीमहाराज ने कहा कि राम साक्षात परमात्मा हैं। राम भगवान हैं जिनके पास पांचों तत्वों का नियंत्रण है।

उन्होंने कहा कि भोले बाबा देवताओं के देव हैं, उन्हें असुर भी पूजते थे। श्रीमहाराज ने कहा कि वर्ष में एक बार तीर्थ जरूर करना चाहिए। तीर्थ करने से भगवान में मन लगा रहता है। ‘तीरथ करो जवानी में बूढ़ापा किसने देखा है’ गीत पर महिलाएं पंडाल में थिरकती नजर आयीं। भगवान किसी से रूष्ट नहीं होते हैं। उनकी कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है। सिर्फ भक्ति करने अलग अलग तरीका होता है जो भक्त समर्पित होता है उसे शंका नहीं लगती है लेकिन जो समर्पित नहीं होता है उसे हमेशा भक्ति को लेकर संशय बना रहता है। श्रीमहाराज ने कहा कि अगर भगवान वन नहीं गए होते तो पुरुषोत्तम राम नहीं कहलाते।

वह वन नहीं गए थे वह तो तीर्थ का बहाना था। उन्होंने कहा कि सत्संग से प्यार करना सीखें, जीवन का उद्धार करना सीखें, धन दौलत साथ नहीं जाएगा, अकेला ही जाना है, किसी को खुश करने की फिराक में मत रहिए, अपने खुश रहने की सोचिए। यह रामकथा सेवाभारती के नेतृत्व में चल रही है।

इस मौके पर कुलपति प्रो. वंदना सिंह, पूर्व विधायक हरेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. लीना तिवारी, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष दिनेश टंडन, सेवाभारती के जिलाध्यक्ष डॉ. तेज सिंह, माउंट लिट्रा जी स्कूल के डायरेक्टर डॉ. अरविंद सिंह, राधेश्याम सिंह मुन्ना पूर्वांचल, विक्रम सिंह प्रतापगढ़, पूर्व सभासद विनय सिंह, आयोग के सदस्य डॉ. आरएन त्रिपाठी, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. रणजीत सिंह, भाजपा नेता जेपी सिंह, पप्पू माली, रविंद्र सिंह ज्योति, शिक्षक नेता दीपक सिंह, अमित सिंह, पत्रकार कृष्णा सिंह, आशुतोष सिंह, शिवा सिंह, पूर्व प्रो. अशोक सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह, आरएसएस के सुरेश, संजय पाण्डेय सहित हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।

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