महिलाओं की मांग पर लागू की बिहार में शराबबंदी(Liquor ban).नीतीश

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार में शराबबंदी (Liquor ban) जारी रहने की बात कही है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि जहरीली शराब से तो शुरू से लोग मरते हैं, जहरीली शराब से अन्य राज्यों में भी लोग मरते हैं. लोगों को सचेत रहना चाहिए. सीएम नीतीश ने कहा, ”बिहार में जब शराबबंदी है तो खराब शराब मिलेगी ही, जो शराब पियेगा वो मरेगा ही. इस पर पूरी तरह से एक्शन होगा.”
सीएम नीतीश कुमार ने आगे कहा, मैंने अधिकारियों को कहा है कि गरीबों को न पकड़ें, जो लोग इसका व्यवसाय कर रहे हैं उन्हें पकड़ें. शराबबंदी कानून से कई लोगों को फायदा हुआ है कई लोगों ने शराब छोड़ दी है. बता दें कि जहरीली शराब से छपरा में 30 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और मौत का क्रम अब भी जारी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, जो पार्टी हंगामा कर रही है उन्हें लोगों को जाकर शराबबंदी के पक्ष में समझाना चाहिए. बीजेपी बताए कि जिन-जिन राज्यों में उनकी सरकार है वहां जहरीली शराब से कितनी मौत होती है. हमलोगों ने बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर कानून भी बनाया और प्रचार-प्रसार भी बड़े पैमाने पर किया. सभी पार्टियों ने इसका समर्थन किया इसलिए बिहार में शराबबंदी कानून लागू है.
सीएम नीतीश कुमार ने आगे कहा, शराबबंदी कानून मेरा फैसला नहीं था. बिहार की महिलाओं ने इसकी मांग मुझसे की थी तब मैंने इसे लागू किया. जो पियेगा वह मरेगा ही, यह सही बात है. नीतीश ने कहा, शराब से अभी तक जितने लोगों की मौत हुई है वह बहुत ही गलत हुआ है. विधानसभा में मैंने विपक्ष को इसलिए बोला क्योंकि उन्होंने शराबबंदी के पक्ष में नारा लगाया था. लागू करने के समय वे भी साथ थे.
मुख्यमंत्री ने कहा, जहरीली शराब से बीजेपी के शासित राज्यों में जहां मौत हो रही है उस पर वह कुछ नहीं बोलते हैं. बीजेपी वाले सच्चाई को लोगों तक जाने नहीं देते हैं. बीजेपी तीन चार महीने तक हमारे साथ थे तब उन्हें इसमें कोई दिक्कत नहीं लगती थी. आज साथ नहीं हैं तो उन्हें दिक्कत लग रही है. विपक्ष भी अभियान चलाए कि शराब लोग ना पीये. सरकार का सहयोग करें,
इससे पहले सारण में जहरीली शराब से हो रही मौत पर केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा, ये बिहार का दुर्भाग्य है. बिहार में जब से शराब नीति चली है तब से कई हजार लोग मर गए; मगर मुख्यमंत्री की संवेदना नहीं जगती. जब सदन में कोई इस मुद्दे को उठाता है तो उससे ऐसा व्यवहार करते हैं जो कोई उम्मीद नहीं करता.