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2 घंटे में 61 हजार बार  (61 हजार बार ) गिरी आकाशीय बिजली

ओडिशा : में आकाशीय बिजली रूपी आपदा लोगों पर खौफ बनकर गिरी है. राज्‍य के छह जिलों में शनिवार को बिजली गिरने की 61 हजार…जी हां, 61 हजार  (61 हजार बार ) घटनाएं हुईं. महज दो घंटों में आकाशीय बिजली गिरने की इन घटनाओं ने लोगों को भयभीत और हैरान किया है. राहत की बात यह रही कि बिजली गिरने की इन घटनाओं की अपेक्षाकृत कम जनहानि हुई. इन घटनाओं में जहां 12 लोगों को जान गंवानी पड़ी, वहीं 14 घायल हुए. ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, अपराह्न 3.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक करीब 61 हजार बार से अधिक बिजली गिरने की घटनाएं सामने आईं.

मौसम विभाग का अगले चार दिनों का पूर्वानुमान लोगों की चिंता को और बढ़ाने वाला है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने ओडिशा के अलग-अलग हिस्सों में अगले चार दिनों में बारिश होने की भविष्‍यवाणी की है. साइक्लोनिक सर्कुलेशन ने मानसून को सक्रिय कर दिया है जिससे पूरे राज्य में भारी बारिश हुई है और अगले कुछ दिन इसके जारी रहने की संभावना है.

– मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह की असामान्‍य और आकाशीय बिजली गिरने की बहुत अधिक घटनाएं तब होती हैं जब मानसून लंबे अंतराल के बाद सामान्य स्थिति में लौटता है. माना जा रहा है ओडिशा में आकाशीय बिजली की घटनाओं का कारण यही है. वैज्ञानिकों के अनुसार, ठंडी और गर्म Air masses का टकराव ऐसी अभूतपूर्व बिजली गिरने की घटनाओं का कारण बनता है.

– वैज्ञानिक दृष्टिकोण से वायुमंडल में तेज गति से भारी मात्रा में बिजली के डिस्चार्ज को ही बिजली गिरनाकहा जाता है. बिजली के इस डिस्चार्ज में से कुछ मात्रा धरती पर भी गिरती है. यह आकाशीय बिजली, नमी से भरे हुए 10-12 किमी ऊंचे बादलों में पैदा होती है.

इन बादलों का आधार धरती से एक-दो किमी ऊपर होता है जबकि उनका शीर्ष 12-13 किमी ऊपर होता है. बादलों के शीर्ष भाग में तापमान शून्य से 35-45 डिग्री सेल्सियस नीचे होता है. जैसे-जैसे बादलों में जमा वाष्प ऊपर की ओर उठती है और जमने लगती है, बादलों में और ऊपर जाने पर पानी के ये जमी हुई बूंदे क्रिस्टल में तब्दील होने लगती हैं. ऊपर जाते-जाते पानी के ये क्रिस्टल आकार में इतने बड़े हो जाते हैं कि गिरने लगते है. इससे इनमें आपस में टकराव होता है जिसके फलस्वरूप इलेक्ट्रान पैदा होते हैं. यह क्रम लगातार चलता रहता है और इलेक्ट्रान की संख्या भी बढ़ती रहती है.
इस प्रक्रिया में बादलों के शीर्ष भाग में पॉजिटिव और मध्य भाग में निगेटिव चार्ज पैदा होता है. बादल के दोनों हिस्सों के बीच एक अरब से लेकर 10 अरब वोल्ट तक का अंतर होता है. बेहद कम समय में एक लाख से दस लाख एंपियर का करंट पैदा होता है जिसका करीब 15-20 प्रतिशत हिस्सा धरती पर गिरता है. इसकी वजह से हर साल दुनियाभर में जान-माल का काफी नुकसान होता है.

– क्लाइमेट रेजिलिएंट आब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल की ओर से मौसम विभाग के साथ मिलकर जारी किए गए एक मानचित्र में आकाशीय बिजली से प्रभावित इलाकों की जानकारी दी गई है. इसके अनुसार मध्य प्रदेश में बिजली गिरने की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं जबकि इसके बाद छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और बंगाल का नंबर आता है.

इन राज्यों के अलावा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं.नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो सिर्फ भारत में ही हर साल करीब 2000 से 2500 लोग आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं के कारण जान गंवाते हैं.
– आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय मौसम विभाग ने अप्रैल 2019 में इसकी अग्रिम चेतावनी के लिए एक प्रणाली विकसित की.इसके जरिए 24 से 48 घंटों के बीच कलर कोडेड अलर्ट जारी किया जाता है.

इसके अलावा जिस इलाके में बिजली गिरने की संभावना रहती है वहां तीन घंटे पहले अलर्ट जारी कर दिया जाता है.आकाशीय बिजली की पूर्व जानकारी देने के लए अलर्ट सिस्टम दो तरह से काम करता है.एक तो सेंसर के ज़रिये ऐसे यंत्र बनाए जाते हैं जो बादलों की ग​तिविधियों को भांपकर बिजली चमकने या गिरने का पूर्वानुमान आंधे घंटे पहले दे देते हैं. अधिक एडवांस सेंसर की मदद से तीन से चार घंटे पहले भी अनुमान मिल सकते हैं.
दूसरा सिस्टम आधुनिक तकनीक के लैस Apps हैं.इन एप्स के ज़रिये पूर्वानुमान पाए जा सकते हैं जो सैटेलाइट के डेटा के माध्यम से लगाए जाते हैं.भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आकाशीय बिजली से होने वाली संभावित मौतों को रोकने के लिए दामिनी एप डेवलप किया है जो करीब 20 KM की रेंज में बिजली गिरने की पूर्व जानकारी प्रदान करता है. वैसे देश में सूचना तंत्र ठीक न होने से ग्रामीण इलाकों तक आकाशीय बिजली गिरने का पूर्व चेतावनी पहुंचाना आसान नहीं है.
– तड़ित चालक को इंग्लिश में लाइटनिंग रॉड या लाइटनिंग एरेस्टर कहा जाता है. यह कॉपर यानी तांबे का बना होता है. तड़ित चालक एक धातु की छड़ होती है जिसका ऊपरी नुकीला हिस्सा छत के ऊपर और नीचे का हिस्सा जमीन में होता है.

 

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