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हैंचुप्पी को तोड़ते हैं, मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते हैं !

चुप्पी को तोड़ते हैं, मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते हैं मानसिक स्वास्थ्य हम में से बहुत से लोगों की प्राथमिकता नहीं है. हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य का विषय हमेशा से टैबू रहा है और लोग इस पर बात नहीं करना चाहते. यदि कोई व्यक्ति बात करता भी है तो लोग उसे टालने की कोशिश करते हैं. किसी व्यक्ति को मनोचिकित्सक यानी साइकियाट्रिस्ट के पास जाने की सलाह दे दी जाए तो उसकी प्रतिक्रिया ऐसी होती है, जैसे उसे हमने पागल घोषित कर दिया हो. ऐसा सिर्फ इसलिए है, क्योंकि हम मानसिक स्वास्थ्य को तवज्जो नहीं देते और किसी भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या को पागलपन ही करार देने लगते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य पर आप जैसे ही बात शुरू करते हैं, लोग ‘पागलों की बात क्यों कर रहे हो?’ करके आपकी बात को ही हल्का कर देते हैं. असल में जब भी मानसिक स्वास्थ्य में कुछ ऊंच-नीच महसूस हो. जब एंग्जाइटी का अटैक आए तो असल में हल्का होने की आवश्यकता होती है. क्योंकि दिमाग पर बोझ के चलते तो अटैक आता है, उस बोझ को हल्का करेंगे तो मानसिक स्वास्थ बेहतर हो जाएगा. एक वीडियो दिखा जिसमें मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक गहरी बात सिर्फ भाव-भंगिमाओं और कृत्य के जरिए की गई है. यह वीडियो आपको जरूर देखना चाहिए और फिर आपको समझ आएगा कि दिमाग के बोझ को हल्का करना कितना आसान है और कितना जरूरी.

इस वीडियो में आपने देखा कि नीली टीशर्ट पहनी एक लड़की को एंग्जाइटी अटैक आया और वह बारिश के बीच जमीन पर लेटी हुई है. जब उनके परिवार से एक महिला पहुंचती हैं तो वह न तो लड़की पर चिल्लाती हैं, न उन्हें डांटती और हाथ पकड़कर, उठाकर अंदर लेकर जाती हैं. बल्कि उसके साथ ही उसका हाथ पकड़कर जमीन पर लेट जाती हैं. फिर यह दोनों वहां लेटे रहते हैं, जब तक लड़की का एंग्जाइटी अटैक खत्म हो जाता है, तब तक यह दोनों वहां लेटे रहते हैं.

पहले कोविड और अब दुनियाभर में लोगों की नौकरियां जाने की खबरों ने लोगों पर बहुत बड़ा मानसिक दबाव डाला है. इसलिए आज मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना बहुत जरूरी है. आज मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों पर बात करना जरूरी है.

चुप न रहो,
बात करो…
बात करने से
मन हल्का होगा…
दबाव कम होगा
जीवन आगे बढ़ेगा…

जब भी आपके परिवार, दोस्तों, दफ्तर के साथियों चुप्पी को तोड़ते हैं, मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते हैं
मानसिक स्वास्थ्य हम में से बहुत से लोगों की प्राथमिकता नहीं है. हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य का विषय हमेशा से टैबू रहा है और लोग इस पर बात नहीं करना चाहते. यदि कोई व्यक्ति बात करता भी है तो लोग उसे टालने की कोशिश करते हैं. किसी व्यक्ति को मनोचिकित्सक यानी साइकियाट्रिस्ट के पास जाने की सलाह दे दी जाए तो उसकी प्रतिक्रिया ऐसी होती है, जैसे उसे हमने पागल घोषित कर दिया हो. ऐसा सिर्फ इसलिए है, क्योंकि हम मानसिक स्वास्थ्य को तवज्जो नहीं देते और किसी भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या को पागलपन ही करार देने लगते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य पर आप जैसे ही बात शुरू करते हैं, लोग ‘पागलों की बात क्यों कर रहे हो?’ करके आपकी बात को ही हल्का कर देते हैं. असल में जब भी मानसिक स्वास्थ्य में कुछ ऊंच-नीच महसूस हो. जब एंग्जाइटी का अटैक आए तो असल में हल्का होने की आवश्यकता होती है. क्योंकि दिमाग पर बोझ के चलते तो अटैक आता है, उस बोझ को हल्का करेंगे तो मानसिक स्वास्थ बेहतर हो जाएगा. एक वीडियो दिखा जिसमें मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक गहरी बात सिर्फ भाव-भंगिमाओं और कृत्य के जरिए की गई है. यह वीडियो आपको जरूर देखना चाहिए और फिर आपको समझ आएगा कि दिमाग के बोझ को हल्का करना कितना आसान है और कितना जरूरी.

इस वीडियो में आपने देखा कि नीली टीशर्ट पहनी एक लड़की को एंग्जाइटी अटैक आया और वह बारिश के बीच जमीन पर लेटी हुई है. जब उनके परिवार से एक महिला पहुंचती हैं तो वह न तो लड़की पर चिल्लाती हैं, न उन्हें डांटती और हाथ पकड़कर, उठाकर अंदर लेकर जाती हैं. बल्कि उसके साथ ही उसका हाथ पकड़कर जमीन पर लेट जाती हैं. फिर यह दोनों वहां लेटे रहते हैं, जब तक लड़की का एंग्जाइटी अटैक खत्म हो जाता है, तब तक यह दोनों वहां लेटे रहते हैं. पहले कोविड और अब दुनियाभर में लोगों की नौकरियां जाने की खबरों ने लोगों पर बहुत बड़ा मानसिक दबाव डाला है. इसलिए आज मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना बहुत जरूरी है. आज मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों पर बात करना जरूरी है.

चुप न रहो,
बात करो…
बात करने से
मन हल्का होगा…
दबाव कम होगा
जीवन आगे बढ़ेगा…

जब भी आपके परिवार, दोस्तों, दफ्तर के साथियों में से किसी को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या हो. जब वह मानसिक तौर पर टूट जाएं और उन्हें कुछ न सूझे तो उन पर चिल्लाने की बजाय, उन्हें यूं ही अकेला छोड़ देने की बजाय, उनको वह सब करने के लिए दबाव डालने की बजाय, जो आप चाहते हैं… वह करें, जो वो कर रहे हैं. इससे उनका मानसिक दबाव तो कम होगा ही साथ ही आपको भी अपना मानसिक दबाव कम करने में मदद मिलेगी और हल्का-हल्का महसूस होगा. जब आपकों, आपके दोस्तों, परिवाजनों या दफ्तर के साथियों में से किसी को एंग्जाइटी, फीयर या पैनिक अटैक आए तो आप निम्न कुछ कार्य कर सकते हैं –

फास्टफूड की बजाय कुछ अच्छा, स्वास्थ्यवर्धक खाना खाएं और अपनी एनर्जी लेवल को बनाए रखें –

अच्छे और सच्चे दोस्तों से मदद लें, वो आपकी समस्या को समझकर आपको इस मानसिक समस्या से बाहर निकलने में मदद करेंगे.में से किसी को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या हो. जब वह मानसिक तौर पर टूट जाएं और उन्हें कुछ न सूझे तो उन पर चिल्लाने की बजाय, उन्हें यूं ही अकेला छोड़ देने की बजाय, उनको वह सब करने के लिए दबाव डालने की बजाय, जो आप चाहते हैं… वह करें, जो वो कर रहे हैं. इससे उनका मानसिक दबाव तो कम होगा ही साथ ही आपको भी अपना मानसिक दबाव कम करने में मदद मिलेगी और हल्का-हल्का महसूस होगा.

जब आपकों, आपके दोस्तों, परिवाजनों या दफ्तर के साथियों में से किसी को एंग्जाइटी, फीयर या पैनिक अटैक आए तो आप निम्न कुछ कार्य कर सकते हैं –

  • अपने दोस्तों, परिवारजनों, डॉक्टर और काउंसलर से अपनी फीलिंग्स के बारे में बात करें.
  • ऐसी एक्सरसाइज करें, जो आपको शांत करे… आप चाहें तो योग और मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं.
  • अगर आपको नींद आने में समस्या है तो कोई ऐसा तरीका खोजें, जिससे आपको अच्छी गहरी नींद आए.
  • रनिंग, वॉकिंग और स्वीमिंग जैसे कुछ एक्सरसाइज करें, जिससे आपको ऐसी स्थिति से निपटने में मदद मिले.
  • फास्टफूड की बजाय कुछ अच्छा, स्वास्थ्यवर्धक खाना खाएं और अपनी एनर्जी लेवल को बनाए रखें.
  • अच्छे और सच्चे दोस्तों से मदद लें, वो आपकी समस्या को समझकर आपको इस मानसिक समस्या से बाहर निकलने में मदद करेंगे.

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