छोटे बच्चों (small children)के लिए भी सशर्त इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता

नीदरलैंड्स: भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता देने को लेकर बहस जारी है. वहीं, नीदरलैंड्स ने बच्चों (small children) के लिए इच्छामृत्यु मंजूर करने के लिए कानून बना दिया है. इससे पहले बेल्जियम भी इसी तरह का कानून बना चुका है. बेल्जियम ने 2014 में ही बच्चों के लिए इच्छामृत्यु के नियम बना दिए थे. वहां 2016 में 17 साल के बच्चे को पहली बार इच्छामृत्यु की अनुमति दी गई थी. लेकिन, नीदरलैंड्स सरकार के इस फैसले पर दुनियाभर में इच्छामृत्यु पर फिर बहस छिड़ गई है. नीदरलैंड्स सरकार ने बच्चों के लिए इच्छामृत्यु मंजूर किए जाने के लिए कई तरह की शर्तें तय की हैं.
नीदरलैंड्स की सरकार के बनाए नए कानून के तहत माता-पिता अपने मरणासन्न बच्चों को डॉक्टरी सहायता से इच्छामृत्यु मांग सकते हैं. कानून के मुताबिक, इच्छामृत्यु की मंजूरी सिर्फ उन्हीं बच्चों के लिए दी जाएगी, जो किसी ऐसी बीमारी या हालात से गुजर रहे हों, जिसके ठीक होने की कोई उम्मीद ना हो और बच्चा असहनीय पीड़ा से गुजर रहा हो. इसके अलावा इच्छामृत्यु की अनुमति बच्चे नहीं, बल्कि उसके माता-पिता के आग्रह पर ही दी जाएगी. यही नहीं, माता-पिता भी सिर्फ 12 से कम उम्र के बच्चों के लिए इच्छामृत्यु का अनुरोध कर सकते हैं.
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बच्चों के लिए क्यों दी इच्छामृत्यु को मंजूरी
नीदरलैंड्स की सरकार के मुताबिक, इच्छामृत्यु का विकल्प सिर्फ उन बच्चों के लिए खुला है, जो मौत के बराबर मुश्किल हालात से जूझ रहे हों. जो बच्चे रोजाना भीषण पीड़ा से गुजरते हैं, उनके लिए यही सबसे बेहतर विकल्प है. बता दें कि नीदरलैंड्स में 17 साल की एक लड़की नोआ पोथोवेन के साथ गंभीर हादसे के बाद इच्छामृत्यु का अनुरोध किया था. दरअसल, पोथोवेन अर्न्हेम में रहती थी. उसके साथ 11 साल की उम्र में बड़ा हादसा हुआ था. उस पर तीन बार हमला और यौन उत्पीड़न किया गया था. इस वजह से वह बहुत बुरे हालात में थी.
पोथोवेन वारदातों के बाद डिप्रेशन में पहुंच गई थी. वह पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के साथ ही एनोरेक्सिया से जूझ रही थी. हालात बदतर होते गए और उसने इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी. लेकिन, उसके इच्छामृत्यु के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया. बाद में पोथोवेन ने खाना-पीना बंद कर दिया. उसकी मौत बहुत ही बुरे हालात में हुई. उसकी ऐसी दर्दनाक मौत के बाद सरकार ने महसूस किया कि ऐसे में मामलों के लिए नया कानून बनाया जाना चाहिए. इसके बाद अब इसके लिए नीदरलैंड्स की सरकार ने कानून भी बना दिया है.
पहले से ही लागू है कानून, किया विस्तार
नीदरलैंड्स में पहले से ही इच्छामृत्यु कानून है. अब सरकार ने इसका विस्तार करके 1 से 12 साल तक के गंभीरतम बीमार बच्चों के लिए भी लागू कर दिया है. आसान शब्दों में कहें तो सरकार ने पहले से लागू कानून में कुछ बदलाव किए हैं. इसमें स्पष्ट किया गया है कि बच्चों को इच्छामृत्यु देने में डॉक्टर की मदद अनिवार्य है. सरकार का कहना है कि माता-पिता के अनुरोध पर हर साल ज्यादा से ज्यादा 10 बच्चों को ही इच्छामृत्यु की मंजूरी दी जाएगी. अब जानते हैं कि संशोधन से पहले नीदरलैंड्स में इच्छामृत्यु के क्या नियम थे?
– नीदरलैंड्स में 12 से 15 साल के नाबालिग पेरेंट्स की सहमति से इच्छामृत्यु मांग सकते थे.
– इसके अलावा 16 से 17 साल के युवा पेरेंट्स को सिर्फ जानकारी देकर इच्छामृत्यु मांग सकते थे.
नीदरलैंड्स, बेल्जियम, न्यूजीलैंड
नीदरलैंड्स ने 2002 में सशर्त इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता दे दी थी. तब नीदरलैंड्स ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था.
पहली बार कब मिली कानूनी मान्यता?
नीदरलैंड्स ने 2002 में सशर्त इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता दे दी थी. तब नीदरलैंड्स ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. हालांकि, इसके नियम काफी सख्त रखे गए थे. कानून के तहत इच्छामृत्यु के हर अनुरोध की जानकारी मेडिकल रिव्यू बोर्ड को देना अनिवार्य किया गया था. इसके बाद 2019 के एक अध्ययन किया गया, जिसके बाद कानून में संशोधन का फैसला लिया गया. इसमें माता-पिता के अनुरोध पर गंभीरतम बीमारियें से जूझ रहे 1 से 12 साल तक के बच्चों के लिए भी इच्छामृत्यु मंजूर करने के विकल्प पर विचार करने पर जोर दिया गया.