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चीन( China,)  छोड़िए, अब एलएसी पर परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा

पूर्वी लद्दाख और पूरे अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर बढ़ते तनाव के बीच चीन के साथ लगी सीमा की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना अपनी तैयारियों को चाक-चौबंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. चीन के साथ लगातार 33 महीने से चल रहे सैन्य टकराव के बीच भारतीय सेना धीरे-धीरे लेकिन लगातार लंबी दूरी के हथियारों के साथ अपनी मारक क्षमता बढ़ा रही है. डिफेंस विभाग के सूत्रों के मुताबिक किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए सेना की आधुनिकीकरण योजना में उन्नत टेक्नोलॉजी को शामिल करना के साथ ही पीढ़ियों से से चले आ रहे असरदार सिस्टम को मजबूत बनाना शामिल है.’
चीन( China,)  की सेना के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना लगातार अपना आधुनिकीकरण कर रही है. सेना ने सामान्य खरीद प्रक्रिया के तहत कई सौदे करने के अलावा आपातकालीन खरीद के तहत 68 अनुबंधों पर भी हस्ताक्षर किए हैं. जबकि ‘दूसरे 84 आपातकालीन खरीद सौदों पर काम चल रहा है.’

सेना ने एलएसी पर इन्फैंट्री बटालियन, आर्टिलरी रेजिमेंट, स्पेशल फोर्स के साथ ही ड्रोन की एक बड़ी रेंज को तैनात करना भी शुरू कर दिया है. उदाहरण के लिए ड्रोन के चार सेटों की डिलीवरी मार्च-अप्रैल में होगी. हर सेट में 50 ड्रोन होंगे और ये अधिकतम 50 किलोमीटर की रेंज तक मार सकते हैं. ये ड्रोन 1 से 5 किलोग्राम उच्च विस्फोटक पेलोड ले जा सकते हैं और इनमें कामिकेज क्षमता भी है.

सेना ने दुश्मन के ठिकानों पर सटीक स्ट्राइक करने के लिए कम से कम सात सेट ऐसे ड्रोन खरीदने की तैयारी की है. जिनकी रेंज करीब 15 से 100 किलोमीटर तक है. इनमें से कुछ की डिलीवरी अगस्त से पहले शुरू हो जाएगी.

पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैली 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निगरानी करने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी और नए-नए जासूसी उपकरणों को भी शामिल करने पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.

तोपों का आधुनिकीकरण करने के साथ मिसाइलों, रॉकेटों और स्मार्ट वॉर से जुड़े हर साजो-सामान को एलएसी पर तैनात किया जा रहा है. जिसमें के-9 वज्र से लेकर मल्टी-लॉन्च आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम पिनाका तक शामिल है.

आर्मी एयर डिफेंस के लिए कम दूरी की और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम कोएलएसी पर तैनात कर रही है. बेहतर ढंग से हवाई टारगेट की पहचान करने के लिए आधुनिक अग्नि रडार और काउंटर-ड्रोन उपकरण भी LAC पर लगाए जाने का काम तेज हो रहा है.

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