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भारत के पहले जियोथर्मल प्लांट से 10 पड़ोसी गांवों को फ्री बिजली की सप्लाई करेगा लद्दाख

लेह लद्दाख । भारत (free electricity) और आइसलैंड के इंजीनियरों ने लद्दाख के पुगा में भारत के पहले जियोथर्मल प्लांट पर काम शुरू हो चुका है। शुरुआती नतीजे उत्साहजनक रहे हैं। पिछले साल 08 फरवरी को इस ऐतिहासिक जियोथर्मल प्लांट के लिए केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन लद्दाख, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद लेह और ओएनजीसी (free electricity) ऊर्जा केंद्र के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

हरेक मीटर ड्रिलिंग के साथ स्टीम की विशाल मात्रा जमीन से बाहर निकल रही है, जो इस क्षेत्र की क्षमता की पुष्टि करते हैं। जियोथर्मल प्लांट में धरती के अंदर की गर्मी पानी को स्टीम में बदलने के लिए इस्तेमाल की जाती है, जिससे बाद में बिजली पैदा की जाती है। ऐसे सभी जगहों में से लेह लद्दाख के पास पुगा सबसे बड़ा और सबसे प्रोमिसिंग जियोथर्मल साइट है।

समुद्र तल से 4400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, पुगा जियोथर्मल साइट लेह से 190 किमी की दूरी पर स्थित है और 5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।शुरुआती दौर में 1 मेगावॉट बिजली के लिए पायलट परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। इसे साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। यह 10 पड़ोसी गांवों को फ्री बिजली की सप्लाई करेगा।

यह छोटी परियोजना भारत की पहली भूतापीय ऊर्जा उत्पादन परियोजना होगी। परियोजना के विकास के बाद के चरणों में अधिक गहरे और बड़े कुओं को खोदा जाएगा। इसमें ऊर्जा उत्पादन की बहुत अधिक क्षमता होगी। शुरुआती अनुमानों के मुताबिक पुगा में 100 मेगावाट से अधिक जियोथर्मल एनर्जी की क्षमता है।

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