दीपेंदर हुड्डा, गौरव वल्लभ और नासिर हुसैन का इस्तीफा, जानें कारण
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के तीन राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने इस्तीफा दे दिया है. पार्टी नेता गौरव वल्लभ ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हमारी अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर, नए अध्यक्ष के निष्पक्ष चुनाव के लिए मैंने, दीपेंदर हुड्डा और सैय्यद नासिर हुसैन ने राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा (resign) दिया है, जिससे इस चुनाव को याद रखा जाए. इन तीनों को कांग्रेस अध्यक्ष पर चुनाव के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के पक्ष में कैम्पेन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे मल्लिकाजुर्न खड़गे ने कहा, मैं हमेशा से उसूलों के लिए लड़ा. मैं फिर लड़ना चाहता हूं और उन्हीं उसूलों को लेकर आगे बढूंगा.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, जिस दिन मैंने अपना नामांकन दाखिल किया, मैंने उदयपुर में लिए गए पार्टी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ के फैसले के अनुरूप राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा दे दिया. मैं आज आधिकारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद के लिए अपना अभियान शुरू करता हूं. आज गांधी जी और शास्त्री जी का जन्मदिन है, इसलिए मैंने यह दिन चुना है. एक ने देश को आजादी दिलाई और एक ने देश को सुरक्षित रखते हुए ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया. इसलिए चुनाव प्रचार शुरू करने के लिए इससे बेहतर दिन नहीं हो सकता था. आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे का सीधा मुकाबला शशि थरूर से है.
गौरव वल्लभ, जिन्हें सोनिया गांधी की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव कैम्पेन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्होंने खुलकर शशि थरूर का विरोध किया था. कुछ दिन पहले जब अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में थे, उस समय गौरव वल्लभ ने सिलसिलेवार ट्वीट में थरूर की उम्मीदवारी पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने लिखा था, ‘सार्वजनिक चर्चाओं से जो दो नाम सामने आ रहे हैं, उनमें से किसी एक को चुनना हो तो कोई तुलना ही नहीं की जा सकती. एक तरफ कार्यकर्ताओं व जमीन से जुड़े हुए अशोक गहलोत जी हैं, जिन्हें 3 बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार मुख्यमंत्री, 5 बार सांसद, 5 बार विधायक रहने का अनुभव हो, जिन्होंने सीधी टक्कर में मोदी-शाह को पटखनी दी हो, जिनका 45 वर्ष का निष्कलंक राजनीतिक जीवन हो…’
अगले ट्वीट में उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ शशि थरूर साहब हैं,जिनका पिछले 8 सालों में पार्टी के लिए सिर्फ एक ही प्रमुख योगदान है कि उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाधी को तब चिट्ठियां भेजीं जब वह अस्पताल में भर्ती थीं. गौरव वल्लभ ने कहा कि शशि थरूर के इस कृत्य ने मेरे जैसे पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं को पीड़ा पहुंचाई. उन्होंने कहा था कि मैं ये ट्वीट्स पार्टी प्रवक्ता के तौर पर नहीं बल्कि एक कार्यकर्ता के रूप में कर रहा हूं. पार्टी नेता ने कहा था कि करोड़ों कार्यकर्ताओं की तरह उनकी भी इच्छा है कि राहुल गांधी ही पार्टी की कमान संभालें, लेकिन अगर वह अपने फैसले पर तटस्थ हैं और दो नाम सामने आ रहे हैं, उसमें से किसी एक को चुनना हो तो दोनों में कोई तुलना ही नहीं हो सकती है. चयन बहुत सरल और स्पष्ट है.