मौत से बचा सकती है ईश्वर की कृपा जानिये कैसे
शिवाकान्त पाठक
मृत्यु को कोई टाल नहीं सकता, लाख कोशिश करने पर भी और अरबों रुपए लगाने पर भी कब आपका समय अंतिम हो या कब शरीर पूरा हो जाए….. प्रभु पुकार रहे है बस दोनो हाथ उठा कर कहो हे प्रभु मै आपको भूलू ना ,मै आपका आप मेरे…. प्रभु ईश्वर सर्व शक्तिमान है उसमें भाग्य तो क्या मृत्यु को टालने की शक्ति है लेकिन उसके लिए जरूरी है हमारा पूर्ण समर्पण यहाँ पूर्ण का अर्थ हैं सर्वस्व सब कुछ, माँ पिता भाई, बहिन, बेटे, पत्नी ,धन दौलत सबकुछ त्याग कर ईश्वर को पाने की चाहत है सर्वस्व त्याग जैसे ध्रुव ने किया ध्रुव को मालूम था कि उनकी आयु ऐक दिन शेष है परन्तु भगवान शंकर के मंत्र का जाप करते रहे परिणाम स्वरूप यमराज के सामने स्वयं भगवान शंकर त्रिशूल लेकर खड़े हो जाते हैं व यमराज को वापस लौटना पड़ता है!
एक कौवे की गरूड़ से दोस्ती हो गई। दोनों काफी समय साथ गुजारते थे। उनमें मित्रता इतनी गहरी हो गई थी कि आपस में कभी कोई बात नहीं छिपाते थे। एक दिन दोनों एक नदी के किनारे पेड़ पर बैठे बात कर रहे थे तभी एक यमदूत उधर से गुजरा। वो कौवे को देख कर मुस्कुराया। गरूड़ और कौवे ने उस यमदूत को अनदेखा किया और अपनी बातों में लग गए।
लेकिन, अगले दिन फिर वही हुआ। दोनों बातें कर रहे थे तभी वो ही यमदूत फिर उधर से गुजरा। वो फिर कौवे को देखकर मुस्कुराया। इस बार कौवे को कुछ शंका हुई। उसने गरूड़ से कहा कि ये यमदूत मुझे देखकर कल भी मुस्कुराया था और आज भी वैसे ही मुस्कुराया। कुछ गड़बड़ है। हो सकता है मेरी मृत्यु आने वाली है। गरूड़ ने उसे समझाया कि ऐसा कुछ नहीं है। ये एक संयोग भी हो सकता है। तुम चिंता मत करो।
दो-तीन और ऐसे ही निकले। रोज यमदूत कौवे को देखर मुस्कुराता। अब तो कौवे को यकीन हो गया कि निश्चित ही मेरी मौत नजदीक है। उसने गरूड़ से कहा मित्र मैं मरना नहीं चाहता, लेकिन ये यमदूत जरूर एक-दो दिन में मेरे प्राण निकालकर ले जाएगा। ये रोज ही मुझे देखकर मुस्कुराता है। गरूड़ को भी लगा कि हो सकता है कौवे का शक सही हो। उसने कौवे को धैर्य बंधाया। गरूड़ ने कौवे से कहा तुम चिंता मत करो मित्र मैं तुम्हें यहां से इतनी दूर ले जाऊंगा कि ये यमदूत तुम्हें दिखाई ही ना दे।
गरूड़ ने कौवे को अपनी पीठ पर बैठाया और उस जंगल से हजारों किलोमीटर दूर कैलाश पर्वत पर ले गया। दोनों को अब ये डर नहीं रहा कि यहां कोई उन्हें परेशान कर सकता है। लेकिन, वे जैसे ही कैलाश पर्वत पर पहुंचकर एक गुफा तक पहुंचे, वहां वो यमदूत पहले से ही मौजूद था। उसने कौवे को देखते ही उस पर पाश फेंक कर उसके प्राण निकाल लिए। गरूड़ देखता रह गया। उसने यमदूत से पूछा तुमने इसे मारा क्यों? यमदूत ने कहा कि इसकी मौत इसी समय लिखी थी, इसलिए इसके प्राण निकाल लिए। गरूड़ ने फिर पूछा तो फिर तुम इसे देखकर उस जंगल में मुस्कुराते क्यों थे। इसे मारना ही था तो वहीं मार देते।
यमदूत ने जवाब दिया, इसकी मौत कैलाश पर्वत पर ही लिखी थी, लेकिन चार-पांच दिन पहले इसे उस जंगल में देखकर मुझे ये आश्चर्य हो रहा था कि ये इतने कम समय में वहां पहुंचेगा कैसे, क्योंकि इसके पंख भी छोटे हैं और ये लंबी उड़ान भी नहीं भर सकता तो हजारों योजन दूर कैलाश तक ये पहुंचेगा कैसा? यही सोचकर मैं रोज मुस्कुराकर गुजर जाया करता था। लेकिन, भाग्य देखो, तुम इसके परममित्र ही, इसे यहां तक इतने कम समय में ले आए।
हा मेरे प्यारे,जीवन और मृत्यु भाग्य की ही बात है। इससे कहीं भी छिपा या बचा नहीं जा सकता। जब तक जिंदगी है, तब तक कोई आपको मार नहीं सकता, लेकिन अगर मृत्यु निकट हो तो कोई कोशिश आपको बचा नहीं सकती… बचा सकती है तो सिर्फ ईश्वर की कृपा उसकी भक्ति . अतः प्रभु चिंतन करते हुए जब भी समय मिलता हो पुण्य परोपकार सेवा भक्ति करते रहिए एवं शांति एवं संतुष्टि का भाव प्राप्त करते रहें.