केरल हाई कोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट (Marriage Act.)को लेकर की टिप्पणी.

कोच्चि. केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सांसदों को स्पेशल मैरिज एक्ट (Marriage Act.) को लेकर विचार करने की जरुरत है. कोर्ट ने कहा कि सांसदों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या शादी के बाद विशेष विवाह अधिनियम के तहत 30 दिन का नोटिस पीरियड आवश्यक है. दरअसल, एक कपल ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि शादी के बाद विदेश में फिर से नौकरी करने जाने के लिए 30 दिन के नोटिस पीरियड को खत्म करना चाहिए. मंगलवार को केरल हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की और एक महीने बाद फिर से सुनवाई की बात कही है.
कपल की याचिका पर विचार करते हुए, न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने आदेश में कहा, ‘हमारे रीति-रिवाजों और प्रथाओं में भी बहुत सारे बदलाव हुए हैं. दूसरा पहलू यह भी है कि बड़ी संख्या में युवा विदेशों में काम करते हैं. ऐसे में अधिकांश लोग केवल छोटी छुट्टियों पर ही अपने घर आते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं कि लोग उसी छुट्टी में शादी भी कर लेते हैं. ऐसे में 30 दिन का नोटिस देना उन लोगों के लिए कठिन है.’
सांसदों को करना चाहिए विचारः केरल हाईकोर्ट
अदालत ने कहा कि अधिनियम के अनुसार, पति-पत्नी को नोटिस देने से पहले कम से कम 30 दिनों के लिए न्यायिक विवाह अधिकारी की क्षेत्रीय सीमा के भीतर रहना होगा और विवाह को संपन्न करने के लिए और 30 दिनों तक इंतजार करना होगा. अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘क्या सामाजिक व्यवस्था में बदलावों के संबंध में यह वेटिंग पीरियड आवश्यक है, यह ऐसे मामले हैं जिन पर सांसदों का ध्यान जाना चाहिए.’
कोर्ट ने अंतरिम आदेश देने से किया इनकार
हालांकि, अदालत ने नोटिस की अवधि को समाप्त करने के लिए एक अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया. क्योंकि एक खंडपीठ और एक एकल पीठ के फैसले हैं कि अधिनियम की धारा 5 के तहत निर्धारित समय अनिवार्य है. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों के विचार मांगे और मामले को एक महीने के बाद सुनवाई के लिए टाल दिया.