दिल्ली-मुम्बई मार्ग के मथुरा-कोटा रेल खंड पर स्थापित हुआ कवच 4.0 !

गोरखपुर -: ( 30 जुलाई, 2025 ) –: भारतीय रेल द्वारा स्वदेशी रेल सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 को उच्च घनत्व (हाई डेंसिटी) वाले दिल्ली-मुम्बई मार्ग के मथुरा-कोटा रेलखंड पर स्थापित कर दिया गया है। यह देश में रेलवे सुरक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण से प्रेरित होकर कवच ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया है।
कवच 4.0 एक अत्याधुनिक तकनीकी प्रणाली है। इसे जुलाई, 2024 में अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आर.डी.एस.ओ.) द्वारा स्वीकृति दी गई थी। कई विकसित देशों को ऐसी ट्रेन सुरक्षा प्रणाली को विकसित और स्थापित करने में 20 से 30 वर्ष लग गए। कोटा-मथुरा रेलखंड पर कवच 4.0 बहुत कम समय में स्थापित किया गया है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है। इसी क्रम में, स्वदेशी रूप से विकसित कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ए.टी.पी.) प्रणाली को पूर्वोत्तर रेलवे के 1,441 रूट किमी. पर लगाने का कार्य रेल मंत्रालय द्वारा रु. 492.21 करोड़ की लागत से स्वीकृत किया गया है।
कवच के इंस्टालेशन को प्राथमिकता प्रदान करते हुये इसे पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल पर लखनऊ जं.-मानक नगर, लखनऊ जं.-मल्हौर, बाराबंकी जं.-बुढ़वल जं., सीतापुर सिटी-बुढ़वल जं. एवं बुढ़वल जं.-गोरखपुर कैंट; वाराणसी मंडल पर गोरखपुर कैंटगोल्डिनगंज, गोरखपुर कैंट-वाल्मीकिनगर रोड, भटनी जं.-वाराणसी जं., वाराणसी जं.-प्रयागराज जं. एवं औंड़िहार जं.-छपरा जं.; तथा इज्जतनगर
मंडल पर रावतपुर-फर्रुखाबाद जं., फर्रुखाबाद जं.-कासगंज जं. एवं कासगंज जं.-मथुरा जं. खंडों पर कवच का कार्य स्वीकृत है। प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे के 558 रूट किमी. पर कवच लगाने का कार्य किया जायेगा, जिसमें लखनऊ मंडल के सीतापुर सिटी-बुढ़वल जं., बुढ़वल जं.-गोरखपुर कैंट, मानक नगर-लखनऊ जं.-मल्हौर एवं बाराबंकी-बुढ़वल जं.; तथा वाराणसी मंडल के गोरखपुर कैंट-गोल्डिनगंज खंड सम्मिलित हैं।
इस रेलवे पर टावर कार्य एवं कवच उपकरण हेतु दो निविदाओं के माध्यम से कवच स्थापित करने का कार्य किया जायेगा। वर्तमान में मुख्य मार्ग छपरा-बाराबंकी में टावर लगाने का कार्य प्रगति पर है तथा गोरखपुर कैंट-छपरा ग्रामीण के मध्य टावर लगाने का निविदा दिया गया है।
स्वतंत्रता के बाद 60 वर्षों तक देश में अंतरराष्ट्रीय मानकों की उन्नत ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों को स्थापित नहीं किया गया। अब कवच प्रणाली को हाल ही में चालू किया गया है, ताकि ट्रेन और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। भारतीय रेल अगले 06 वर्षों के भीतर देशभर के विभिन्न रेल मार्गों पर कवच 4.0 को स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। अब तक 30,000 से अधिक लोगों को कवच प्रणाली पर प्रशिक्षित किया जा चुका है।
भारतीय रेल सिगनल इंजीनियरिंग एवं दूरसंचार संस्थान (इरिसेट-आई.आर.आई.एस.ई.टी.) ने ए.आई.सी.टी.ई. से मान्यता प्राप्त 17 इंजीनियरिंग कॉलेजों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है, ताकि बी.टेक. पाठ्यक्रम में कवच को शामिल किया जा सके। कवच से लोको पायलटों को मदद मिलेगी: ब्रेक प्रभावी रूप से लगाने में और कोहरे जैसी कम दृश्यता की स्थिति में सिग्नल देखने के लिए बाहर देखने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें सारी जानकारी केबिन के अंदर लगे डैशबोर्ड पर दिखाई देगी।
क्या है कवच ?
- कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे ट्रेनों की गति की निगरानी और नियंत्रण करके दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इसे सेफ्टी इंटिग्रिटी लेवल 4 (एस.आई.एल.-4) पर डिजाइन किया गया है, जो सुरक्षा का सर्वाेच्च स्तर है।
- कवच का विकास 2015 में शुरू हुआ। इसे 03 वर्षों तक परीक्षण किया गया।
- तकनीकी सुधारों के बाद इसे पहले दक्षिण मध्य रेलवे में स्थापित किया गया और 2018 में पहला संचालन प्रमाणपत्र मिला
- दक्षिण मध्य रेलवे में अनुभवों के आधार पर एक उन्नत संस्करण ‘कवच 4.0’ विकसित किया गया, जिसे मई 2025 में 160 किमी./घंटा तक की गति के लिए मंजूरी दी गई।
- कवच के सभी उपकरण स्वदेशी रूप से निर्मित किए जा रहे हैं।
कवच की जटिलता:
- कवच एक अत्यंत जटिल प्रणाली है। इसे कमीशन करना किसी टेलीकॉम कम्पनी को खड़ा करने के समान है। इसमें निम्नलिखित उप-प्रणालियां शामिल हैं।
- आर.एफ.आई.डी. टैग्स: प्रत्येक 01 किमी. पर और प्रत्येक सिगनल पर लगाए जाते हैं। ये ट्रेन की सटीक स्थिति बताते हैं।
- टेलीकॉम टावर्स: हर कुछ किलोमीटर पर ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और पावर सप्लाई सहित टावर्स लगाए जाते हैं। लोको कवच और स्टेशन कवच लगातार इन टावर्स के जरिए संचार करते हैं।
- लोको कवच: ट्रैक पर लगे आर.एफ.आई.डी. टैग्स से जानकारी प्राप्त करता है, उसे टेलीकॉम टावरों तक पहुंचाता है और स्टेशन कवच से रेडियो सूचना प्राप्त करता है। इसे लोको के ब्रेकिंग सिस्टम से भी जोड़ा गया है, ताकि आपात स्थिति में स्वतः ब्रेक लगे।
- स्टेशन कवच: प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर लगाया जाता है। यह लोको कवच और सिगनल प्रणाली से जानकारी लेकर सुरक्षित गति के लिए निर्देश देता है।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओ.एफ.सी.): पूरी प्रणाली को जोड़ने के लिए ट्रैक के साथ-साथ ओ.एफ.सी. बिछाई जाती है, जिससे हाई-स्पीड डेटा कम्युनिकेशन सम्भव होता है।
सिगनलिंग सिस्टम: सिगनलिंग सिस्टम को लोको कवच, स्टेशन कवच, टेलीकॉम टावर आदि से जोड़ा गया है।
इन सभी प्रणालियों को बिना किसी रेल संचालन में व्यवधान के भारी पैसेंजर और माल गाड़ियों की आवाजाही के दौरान स्थापित, जांच और प्रमाणित किया जाता है।
कवच की प्रगति:
- ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया – 5,856 किमी.
- दूरसंचार टावर स्थापित – 619
- स्टेशनों पर कवच स्थापित – 708
- लोको पर कवच स्थापित – 1,107
- ट्रैकसाइड उपकरण स्थापित – 4,001 रूट किमी.
भारतीय रेल हर साल सुरक्षा सम्बन्धी गतिविधियों पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश करता है। कवच ऐसी कई पहलों में से एक है जो ट्रेनों और यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई हैं। कवच की त्वरित प्रगति और तैनाती का स्तर रेलवे की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।