Kashmir Valley : फिर शुरू होगा मौत का तांडव… जाने पूरी खबर….

नई दिल्ली। Kashmir Valley : फिर शुरू होगा मौत का तांडव… जाने पूरी खबर…. हम लोगों को पता था एक दिन कश्मीर में फिर से मौत का सिलसिला शुरू होगा। फिर से ये बम फूटेगा और हालात बदतर होंगे। क्योंकि कश्मीर में जो शांति थी, दरअसल वह अंदर ही अंदर एक बड़े तूफान को जन्म दे रही थी। सरकार से बड़ी चूक हुई। कश्मीर में लड़ाई भ्रष्टाचार या अन्य दूसरी चीजों की नहीं है। यहां पर असली लड़ाई जेहाद की है। सरकार को यह बात समझनी होगी। जब तक इस पर चोट नहीं होगी, तब तक स्थितियां अनुकूल नहीं हो सकतीं।
Kashmir Valley : पता था एक दिन घाटी में फिर शुरू होगा मौत का तांडव
कश्मीर में बीते कुछ समय से लगातार हो रही हत्याओं पर कश्मीरी पंडितों और कश्मीर के लोगों के लिए आवाज बुलंद करने वाले संगठन और लोगों का यही कहना है। बीते कुछ दिनों से कश्मीर में हो रही लगातार हत्याओं पर कश्मीर के बड़े संगठन रूट्स इन कश्मीर के प्रवक्ता अमित रैना कहते हैं कि कश्मीर की असली समस्या को समझ कर ही घाटी में हो रही हत्याओं को रोका जा सकता है। रैना कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि सरकार ने सख्ती नहीं दिखाई या सरकार ने प्रयास नहीं किए। लेकिन कश्मीर में असली लड़ाई जेहाद की है।
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पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और आतंकियों की ओर से जेहाद की लड़ाई दिमाग में भरी जा रही है। दरअसल उसी की वजह से यह सारे परिणाम सामने आ रहे हैं। अमित कहते हैं कि उनको और उनके जैसे तमाम कश्मीरी पंडितों को इस बात का अहसास था कि आज नहीं तो कल इस थोड़ी देर वाली शांति का बम फटेगा। क्योंकि घाटी में जो शांति थी वह क्षणिक थी। अशांति के दौरान पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को स्थानीय युवाओं में जहर की तरह जेहाद के नाम पर भरा जा रहा है और यही समस्या की मूल जड़ है। कश्मीर घाटी में लंबे समय तक रहने वाले हरि कौल कहते हैं कि सरकार को भी बहुत बारीकी स्तर पर कश्मीर की परिस्थिति पर नजर रखनी होगी।
Kashmir Valley : सरकार से हुई थी कई बड़ी चूक
उनका कहना है कश्मीर में कहने को तो जमात-ए-इस्लामी संगठन प्रतिबंधित है। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। जमीनी स्तर पर आज भी यह संगठन न सिर्फ सक्रिय है, बल्कि संगठन से जुड़े लोग अपने मंसूबों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास भी करते रहते हैं। हरि कहते हैं कि दरअसल सरकार को कश्मीर में जिहादी मानसिकता से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासनिक लोग को भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना होगा। जबकि ऐसा इस वक्त नहीं हो रहा है। वह कहते हैं कि जो स्थानीय अधिकारी होंगे या लंबे समय से कश्मीर की परिस्थितियों से वाकिफ होंगे, वह न सिर्फ जिहादी मानसिकता का एनकाउंटर कर पाएंगे बल्कि सरकार की मंशा अनुरूप योजनाओं को भी आगे बढ़ाने में मदद कर सकेंगे।
Kashmir Valley : उन्होंने कहा कि जब राहुल भट की हत्या हुई थी
वह कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि कोई भी नया पुलिस या प्रशासन का अधिकारी कहीं जाने पर वहां की परिस्थिति को नहीं समझ सकता है, लेकिन कश्मीर एक अलग विषय है। यहां की परिस्थिति से निपटने और समझने के लिए सरकार को स्मार्ट तरीके से बंदोबस्त करने चाहिए। अभी जो हालात हैं वह डरावने हैं। रूट्स इन कश्मीर के प्रवक्ता अमित रैना कहते हैं कि यह लापरवाही नहीं तो और क्या है कि जब पहली हत्या होती है उसके बाद भी सरकार कर्मचारियों को स्थानांतरित नहीं कर पाती है।
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उन्होंने कहा कि जब राहुल भट की हत्या हुई थी, उसी वक्त अगर त्वरित कार्यवाही करते हुए सभी कर्मचारियों को अपनी-अपनी जगहों पर तैनात कर दिया जाता, तो शायद रजनी बाला की हत्या ना होती। वह कहते हैं यह सरकारी ढीला-ढीला रवैया ही है कि राहुल की हत्या के 14 दिन बाद भी अपनी मूल जगह न पहुंचने वाली रजनी बाला की हत्या हो जाती है। अमित कहते हैं कि कश्मीर में समस्याएं देश के अन्य हिस्सों की तरह नहीं है।
कश्मीर घाटी: यहां पर आतंक और दहशत फैलाने वाले लोगों के दिमाग में जेहाद भरा हुआ
यहां पर आतंक और दहशत फैलाने वाले लोगों के दिमाग में जेहाद भरा हुआ है। जिसको पाकिस्तान और पाकिस्तान के खुफिया तंत्र के अलावा वहां के आतंकी संगठन घाटी के युवाओं में भर कर कट्टर मुस्लिम आतंकी बना रहे हैं। उनका कहना है कि दहशत सिर्फ हिंदुओं को मार कर ही नहीं फैलाई जा रही है बल्कि मुस्लिमों की भी हत्याएं हो रही हैं। यह हालात बेहतर नहीं है। कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग पर कश्मीरी पंडितों और वहां के समुदाय से जुड़े लोग शनिवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
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इस दौरान प्रदर्शन में शामिल लोग शनिवार को कश्मीर में हो रही हत्याओं के विरोध में पूरे दिन का उपवास भी रखेंगे। जम्मू-कश्मीर विचार मंच की ओर से आयोजित होने वाले एक दिवसीय उपवास और विरोध में शामिल होने वाले हेमंत रैना कहते हैं कि कश्मीर में पाकिस्तान के सहयोग से जिहादी जहर भरा जा रहा है। उससे निपटने के लिए ही हमें और सरकार को मिलकर न सिर्फ आगे बढ़ना होगा बल्कि पीडि़तों और पीडि़त परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एकजुट होना भी होगा।