पाकिस्तान के एजेंडे में फिर कश्मीर मुद्दा(Kashmir issue )

नई दिल्ली: ताशकंद में होने वाले शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी के बीच बैठक हो सकती है. पाकिस्तान सरकार के उच्च सूत्रों से यह जानकारी मिली है. शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन समिट जुलाई के अंतिम सप्ताह में होगा.
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान, यससीओ सम्मेलन के बहाने यह उम्मीद बनाए हुए है कि वह भारतीय विदेश मंत्री के साथ कश्मीर के मुद्दे पर बैठक करेगा और इसके लिए वह तैयारी कर रहा है. यह दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह बैठक 27-28 जुलाई को होने की संभावना है. पाकिस्तान यससीओ बैठक में भी कश्मीर मुद्दे(Kashmir issue ) को उठा सकता है.
यह बैठक इस साल 15-16 सितंबर को समरखंड में होने वाली यससीओ हेड्स ऑफ स्टेट काउंसिल की बैठक की स्थापना करेगी. जहां प्रधानमंत्री मोदी को रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीन के राष्ट्रपति जी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ और मध्य एशिया राज्यों के प्रमुख के साथ आमंत्रित किया गया है.
फिलहाल भारत ने नहीं की बैठक की पुष्टि
जयशंकर-भुट्टो की बैठक को लेकर नई दिल्ली से अब तक कोई सूचना नहीं मिली है. अगर यह बैठक आयोजित होती है तो यह दोनों पड़ोसियों (भारत-पाकिस्तान) के बीच अपने रिश्तों की खटास को कम करने का एक और प्रयास हो सकता है.
हाल ही में, जयशंकर ने बोलते हुए माना कि पड़ोसियों के साथ रिश्ते रहने की ज़रूरत है, लेकिन एक चेतावनी के साथ. एक दर्शक के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंनें कहा कि मुद्दा यह नहीं है बातचीत नहीं हो रही है, मुद्दा यह है कि बातचीत किन परिस्थितियों में हो रही है.
भारत के लिए आतंकवाद अहम मुद्दा
मसलन आपको इस बैठक के लिए आमंत्रित किया गया तो आप अपने सबसे अच्छे कपड़े पहन कर खुशी-खुशी यहां आए. मैं आपके घर भी जा सकता था और आपके सिर पर बंदूक लगाकर आपको बातचीत के लिए यहां ले आता. मेरी परेशानी यही है कि अगर पड़ोसी कहता है कि मैं सीमा पार आंतकवाद करने जा रहा हूं और फिर तुम्हे बातचीत करने के लिए आना ही पड़ेगा, तो फिर मुझे बातचीत करने में दिक्कत होगी.उन्होंने पाकिस्तान के साथ की समस्याओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को भी जिम्मेदार ठहराया.
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृढ़ संकल्प है की वह सीमा पार आतंकवाद को सामान्य बात की तरह लेने की अनुमति नहीं देंगे, इसने 2014 के बाद से भारत की पाकिस्तान नीति को आकार देने में बहुत मदद की है. मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और पहल ने विश्व मंच पर व्यापक असर डाला है.