राष्ट्रीय

बना या तैयार हो रहा कारम बांध टुटा

मध्यप्रदेश (karam dam) के धार के पास अभी अभी बना या तैयार हो रहा कारम बांध (karam dam) रविवार को टूट गया। महान लेखक शरद जोशी खूब याद आए। उन्होंने लिखा था – भारत में नदियां हैं। नदियों के ऊपर पुल बने हैं। कोई नहीं चाहता कि आजादी के अमृत महोत्सव पर इस तरह की कोई घटना हो और इस तरह सरकार की आलोचना की जाए, लेकिन घटना तो हुई है और जिम्मेदारों को इसकी जवाबदेही से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

जिन 42 गांवों की सिंचाई के लिए यह बांध बनाया जा रहा है, उनमें से आधे गांव डूब में आ गए हैं। वहां के लोगों से गांव खाली करवा लिए गए हैं। अब इस बांध के पानी का ये विस्थापित लोग कैसे उपयोग कर सकेंगे? उनके भरे-भराए घर पीछे छूट गए।

उनकी गाएं रम्भाती रह गईं। उनके खेत अपने मालिकों के मुंह ताकते रह गए। कारम बांध के टूटने से जिन लोगों के सपने बिखर गए हैं, उनके लिए तो सही मायनों में आजादी अधूरी ही है। कैसे और कहां फहराएंगे वे तिरंगा? सरकार को चाहिए कि उन ग्रामीणों के मन में जो तिरंगे की शान है, उसकी रक्षा कर ले।

बांध तो टूट-टूटकर दोबारा भी बन जाएगा, लेकिन लोगों का मन टूटना नहीं चाहिए। इस स्वतंत्रता दिवस पर मध्यप्रदेश सरकार को यही शपथ लेना चाहिए कि पुल और बांध तो दोबारा बन सकते हैं, लेकिन किसी भी हाल में वह लोगों का मन नहीं टूटने देगी। क्योंकि मन जो टूट गया तो वह दोबारा नहीं जुड़ पाता।

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