उत्तर प्रदेश

कछपुरा भगवान बुद्ध की कथा में हुआ भयानक डाकू अंगुलिमाल का प्रसंग

मैनपुरी – तहसील करहल के ग्राम कछपुरा में सात दिवसीय शाक्य वंशीय भगवान बुद्ध की कथा का आयोजन ग्रामवासियों व कुअटिया के सहयोग से किया जा रहा है ।जिसमे ग्रामवासियों व कुअटिया के लोगों ने तन मन धन सब न्योछावर कर ये प्रोगाम करने का प्रण किया है। जिसमे कथा वाचक शाक्य उपेन्द्र बौद्घ एव शाक्या आरती बौद्ध द्वारा शाक्य वंशीय भगवान बुद्ध की जीवन लीलाओं को प्रसंगों द्वारा व मधुर गीतो से भागवत कथा की कथा श्रवण करा रहे है।

और पंडाल में बैठे सभी श्रोताओं को मधुर संगीत से अपनी तरफ आकर्षित कर रहे।कथा वाचक ने डाकू अंगुलमाल का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।उन्होंने बताया है कि अंगुलिमाल का नाम बचपन का अहिसक था जो कक्षा में पड़ने बहुत तेज था। अहिंसक के गुरु जो शिक्षा दिया करते थे वो अहिंसक को बहुत प्यार करते थे उसको गुरुमाता भी अहिंसक बहुत प्यार करती थी कक्षा के बच्चो ने गुरुजी को गुमराह कर दिया कि गुरुजी जब आप घर पर नहीं होते हो तब अहिंसक गुरुमाता से छिप छिप कर मिलने जाता है इतने में गुरुजी भड़क गए और मौका पाकर उन्होंने अहिंसक से गुरु दक्षिणा माग ली। और अहिंसक कहा कि जाओ जब तक तुम एक हजार लोगो का कत्ल करके उनकी एक अंगुली की माला बनाकर मेरे पास नहीं लाओगे।

 तब तुम्हारी गुरुदक्षिणा पूर्ण नही होगी। उसने प्रण किया की गुरुजी का दिया हुआ वरदान मुझे पूर्ण करना है तभी से उसका नाम अंगुलिमाल पड़ गया धीरे धीरे उसने नौ सो निनियवे लोगो को मारकर अपने गले मेंएक अंगुली धारण कर लेता है ।

एक अगली शेष रहने पर उसकी मां नजर आती तो उसने सोचा कि हमारी एक अगली शेष है तो क्यों न मां की एक अंगुली काट कर गुरुजी की गुरु दक्षिणा पूर्ण हो जाएगी उसी बीच भगवान बुद्ध का भ्रमण उस वन में हो जाता है अंगुलिमाल की नजर भगवान बुद्ध ऊपर पड़ जाती है तो उसने भगवान बुद्ध के ऊपर तलवार उठाकर जैसी ही प्रहार किया ।

तो उसने कहा है साधु क्यों आगे बड़ रहा इतने में भगवान बुद्ध ने कहा में तो वही पर खड़ा हूं तब भगवान बुद्ध ने डाकू अंगुलीमाल को समझाया कि तुम किसी को जीवित नहीं कर सकते हो तो उसको मारने का तुमको कोई अधिकार नही है इतने में अंगुलिमाल को समझ में आ गया।

तब भगवान बुद्ध ने अंगु लीमाल को चीवर धारण कराकर भगवान बुद्ध ने अपनी सरण में ले लिया। इस अवसर पर राकेश, महाराम सिंह, पूरन, गिर्राज , ब्रजकिशोर, उदयप्रताप दयाशंकर योगेश अतरसिंह, व समस्त क्षेत्रवासियों ने उपस्थित होकर कथा को श्रवण किया

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