Jharkhand में Government ने बना दिया 31 दिनों का April !
रांची – Jharkhand Liquor Policy उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने एक मई से हर हाल में नई उत्पाद नीति को राज्य में लागू कराने के उत्साह में नियम व कानून को भी ताक पर रख दिया है। उत्साह ऐसा कि अप्रैल को 31 दिनों का भी बताते हुए आदेश जारी किया है। यह विभाग इन दिनों चर्चा में है। एक दिन पहले उत्पाद सचिव ने आदेश जारी किया कि 27 के बाद जिन दुकानदारों के माल बच जाएंगे, वे नए गोदाम में जमा कराएंगे। जबकि, नए गोदाम का न लाइसेंस न है और न ही परमिट।
यह मामला मंगलवार को उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो के यहां उजागर हुआ तो सचिव ने अपनी गलती मानी और कहा कि गलती से उक्त आदेश जारी हो गया है। नए गोदाम के लिए लाइसेंस भी एक मई से प्रभावी होगा, उसके बाद ही नियमत: माल का स्टाक हो सकेगा। विभाग ने बुधवार को पूरे राज्य के उत्पाद अधिकारियों व डिपो मैनेजरों की बैठक बुलाई है!
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इसमें विभाग में 31 अप्रैल ( 30 अप्रैल के स्थान पर 31 अप्रैल लिखा ) की रात्रि में चिन्हित शराब की दुकानों को जेएसबीसीएल के नियंत्रण में लेने एवं उक्त अवधि तक सभी आवश्यक आधारभूत सामग्री उपलब्ध कराने की योजना पर बात होगी। सभी जिला उत्पाद पदाधिकारी को जेएसबीसीएल के जिला प्रबंधक का अतिरिक्त प्रभार दिया जाएगा।
जेएसबीसीएल के सभी छह गोदाम जैसे रांची, सरायकेला-खरसांवा, पलामू, धनबाद, गिरिडीह एवं दुमका में उत्पाद पदाधिकारी को गोदाम प्रभारी का अतिरिक्त प्रभार दिया जाएगा।
27 अप्रैल को खुलेंगे टेंडर
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के लगभग सभी प्रकार के टेंडर 27 अप्रैल को खुलेंगे। इसके बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि राज्य सरकार की नई उत्पाद नीति कितनी सफल हो पाएगी। यह भी जानकारी मिली है
कि नए दुकानदारों में लाइसेंस को लेकर उत्साह नहीं होने के चलते विभाग ने अपने पुराने दुकानदारों को ही प्रस्ताव दिया है कि वे लाइसेंस ले लें। इसके लिए जो नियम व शर्तें रखी गईं हैं, उससे पुराने दुकानदार भाग रहे हैं।
उत्पाद सचिव आज करेंगे बैठक
उत्पाद विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने बुधवार को अपने सभी अधीनस्थ अधिकारियों व डिपो मैनेजरों के साथ नई उत्पाद नीति को प्रभावी बनाने को लेकर बैठक बुलाई है। बैठक के लिए जो एजेंडा तैयार किया गया है, उसमें दुकानदारों के मासिक राजस्व निर्धारण, खुदरा उत्पाद दुकानों के संचालन के लिए दुकान प्रभारी व दुकान सहायकों की स्क्रीनिंग के बाद जेएसबीसीएल को रिपोर्ट देना, खुदरा उत्पाद दुकानों के किराया निर्धारण, खुदरा उत्पाद दुकानों के संचालन को लेकर आवश्यक आधारभूत संरचनाओं जैसे डीप फ्रीजर, स्टेशनरी, थर्मल पेपर स्कैनर, प्रिंटर, की उपलब्धता, खुदरा उत्पाद दुकानों पर लगाए जाने वाले डिस्पले बोर्ड, दुकानों के संबंध में प्राप्त शिकायतों के निवारण के लिए शिकायत निवारण केंद्र बनाने आदि पर चर्चा होगी।छत्तीसगढ़ राज्य म्यूनिसिपल कारपोरेशन लिमिटेड के पत्र के आलाेक में एक मई से खुदरा उत्पाद दुकानों के संचालन को लेकर उत्पाद पदाधिकारी, डिपो मैनेजर को दुकानों के पर्यवेक्षक का प्रभार देने के लिए भी बैठक में बात होगी। उत्पाद कर्मी, उत्पाद सिपाही, सहायक अवर निरीक्षक उत्पाद व अवर निरीक्षक उत्पाद एवं निरीक्षक उत्पाद को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
नई उत्पाद नीति पर हाई कोर्ट में दस मई को सुनवाई
राज्य के नई उत्पाद नीति के खिलाफ दाखिल याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में दस मई को सुनवाई होगी। मंगलवार को प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए मेंशन (विशेष आग्रह) किया।
अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई दस मई को निर्धारित की है।बता दें कि प्रार्थी तारकेश्वर महतो ने नई उत्पाद नीति के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
याचिका में कहा गया है कि जब झारखंड स्टेट बेवरेज कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) पूरे राज्य का स्टाकिस्ट है और उसे खुदरा बिक्री का भी लाइसेंस दिया गया है तो इसके बीच में किसी दूसरी कंपनी को लाने का कोई औचित्य नहीं है। इससे निजी कंपनी को लाभ मिलेगा।
शराब बिक्री में आम तौर पर दो सौ से एक हजार प्रति कार्टन छूट मिलती है। यदि जेएसबीसीएल को थोक बिक्री का लाइसेंस होता तो इस छूट का लाभ राज्य सरकार अथवा उपभोक्ताओं को होता। थोक विक्रेता कंपनी को बीच में रखने की वजह से उक्त राशि का लाभ निजी कंपनियों को मिलेगा। इसके अलावा नई उत्पाद नीति में एक्साइज एक्ट के विभिन्न प्रविधानों का उल्लंघन किया है। एक्साइज एक्ट की धारा 90 के तहत किसी प्रकार की नियमावली बनाने के अधिकार सिर्फ बोर्ड आफ रेवेन्यू को है, ऐसा करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है। नई उत्पादन नीति को रद किया जाना चाहिए।