जनता दल (एस) बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल (जनता दल )

नई दिल्ली. जनता दल (जनता दल ) (सेक्युलर) अब औपचारिक रूप से बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो गया है. पार्टी के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से शुक्रवार को मुलाकात की. इस मौके पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत भी मौजूद रहे. सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने के बाद कुमारस्वामी ने कहा कि उन्होंने कावेरी जल बंटवारे विवाद के बारे में शाह और नड्डा से बात की और आम चुनावों में सीट बंटवारे के बारे में चर्चा की. यह एक औपचारिक बैठक थी. आने वाले दिनों में बिना किसी भ्रम के सीट बंटवारे पर औपचारिक रूप से चर्चा की जाएगी. फिलहाल अहम मुद्दा कर्नाटक की सभी 28 सीटें जीतना है और जद(एस) हर तरह से एनडीए का समर्थन करेगा.
इस बैठक के बाद बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया कि ‘हमारे वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की. मुझे खुशी है कि जद (एस) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने का फैसला किया है. हम एनडीए में उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं…’ बताया जाता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जनता दल (एस) के एनडीए में शामिल होने में गोवा के सीएम प्रमोद सावंत की अहम भूमिका थी. उन्होंने कहा कि ‘…एनडीए को मजबूत बनाने के लिए जद (एस) औपचारिक रूप से राजग गठबंधन में शामिल हो गई है और मैं उन्हें इसके लिए बधाई देता हूं… संसदीय बोर्ड और जद (एस) सीट बंटवारे पर फैसला करेंगे.’ सावंत ने कहा कि ‘जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास कार्य कर रहे हैं, कोई भी पार्टी एनडीए में शामिल होने से इनकार नहीं करेगी… मैं जेडीएस का भी स्वागत करता हूं.’ आगामी चुनाव में एनडीए एक बार फिर सत्ता में आने वाली है. हम कर्नाटक में सभी लोकसभा सीटें जीतने जा रहे हैं…’
2024 के लिए BJP-जद(एस) गठबंधन क्यों जरूरी?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के पीछे एक कारण जद (एस) का खराब प्रदर्शन था, जिसने 139 सीटों पर अपनी जमानत गंवा दी थी. यह उन सीटों का दो-तिहाई था, जहां से उसने चुनाव लड़ा था. पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी को 2018 के चुनावों की तुलना में कर्नाटक में लगभग 15 लाख वोटों का नुकसान हुआ. इसका नुकसान सीधे तौर पर राज्य में कांग्रेस के लिए लाभ में बदल गया. जिसने 2018 की तुलना में 2023 के चुनाव में लगभग 28 लाख ज्यादा वोट हासिल किए. जबकि बीजेपी को लगभग नौ लाख वोटों का फायदा मिला. अगला साल जद (एस) और देवेगौड़ा परिवार के लिए बनने या बिगड़ने का मौका है. इसलिए भाजपा-जद(एस) गठबंधन 2024 में कर्नाटक में कांग्रेस के लिए एक मजबूत चुनौती साबित हो सकता है.