अंतराष्ट्रीय

सिक्किम के पास खड़े किए J-20 फाइटर जेट

नई दिल्ली:चीन दुनिया का तीसरा बड़ा देश है. ये दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसकी सीमाएं सबसे ज्यादा देशों से मिलती हैं. इन सभी देशों के साथ इसका किसी न किसी तरह का सीमा विवाद चल रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल में सीमा विवाद है. चीन भारत के इन राज्यों के कई इलाकों को अपने मैप में भी दिखाता है. वह सिक्किम पर भी दावा करता है. अब चीन ने सिक्किम से करीब 150 किलोमीटर दूर चीन ने अपने मोस्ट एडवांस J-20 स्‍टील्‍थ तफाइटर जेट तैनात किए है. नई सैटेलाइट तस्वीरों से इसका खुलासा हुआ है.

नई हाई रेजोल्यूशन सैटलाइट तस्‍वीरों में देखा जा सकता है कि चीन ने 27 मई को J-20 फाइटर जेट को तिब्‍बत में शिगात्‍से एयरबेस पर तैनात किया. चीन का यह एयरबेस सिक्किम के पास है, जहां से कुछ ही दूरी पर पश्चिम बंगाल में भारत ने 16 राफेल फाइटर जेट को तैनात कर रखा है. इनका काम पूर्वी भारत के ऊपर हिमालयी सीमा की रक्षा करना है. ताइवान से तनातनी के बीच चीन ने पहले वहां J-20 तैनात किए थे. अब भारत की सीमा पर भी ऐसी हिमाकत की है. चीन की इन्हीं हरकतों से निपटने के लिए भारत ने पश्चिम बंगाल में राफेल जेट तैनात कर रखे हैं. दूसरी ओर, तिब्‍बत सीमा के पास S-400 एयर डिफेंस सिस्‍टम भी खड़ा कर रखा है.

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मौजूदा समय में भारत कुल 36 फाइटर जेट के साथ दो राफेल स्क्वाड्रन को ऑपरेट कर रहा है. ऐसा माना जाता है कि चीन पहले ही करीब 250 J-20 स्टील्थ फाइटर जेट का निर्माण कर चुका है. हाल ही में चीन ने पनी पूर्वी सीमा पर J-20 को तैनात किया था. इसका मकसद मुख्य रूप से प्रशांत तट की रक्षा सुनिश्चित करना था. जबकि शिगात्से में कम से कम 7 J-20 फाइटर जेट की तैनाती भारत के लिहाज से काफी अहम है.

चीन ने आर्मी और सिविल उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एयरपोर्ट पर इन फाइटर जेट की तैनाती की है. ये एयरपोर्ट तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगात्से को सर्विस देता है. 12,408 फीट की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण ये एयरपोर्ट दुनिया के सबसे ऊंचे एयरपोर्ट में भी शामिल है. J-20 की तैनाती अत्यधिक ऊंचाई वाले तिब्बती एयरपोर्ट के कठोर वातावरण में भी ऑपरेट होने की क्षमता को दिखाता है. सैटेलाइट तस्वीरों में एक KJ-500 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट भी दिखाई दे रहा है.

फाइटर जेट की मौजूदगी से यह भी संकेत मिलता है कि चीन की वायु सेना ने संभावित तौर पर स्थायी तैनाती से पहले इस क्षेत्र में J-20 के ऑपरेशन को बनाए रखने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती की होगी. इस बीच भारतीय वायु सेना ने J-20 तैनाती के महत्व पर कोई बयान देने से इनकार कर दिया है.

पूर्व फाइटर पायलट और वर्तमान में न्यूस्पेस रिसर्च के CEO समीर जोशी ने कहा, “तिब्बती एयरफील्ड में J-20 की तैनाती भारतीय वायु सेना के लिए एक स्पष्ट खतरा है. यह राफेल जैसी भारतीय वायु सेना की संपत्तियों को मिलने वाली तवज्जो को नकार देता है. साथ ही चीनी एयरफोर्स (PLAAF) के प्रति अलर्ट करता है.”

27 मई को कैप्चर की गई इन सैटेलाइट तस्वीरों में J-20 को शिगात्से में लैंड करने के लिए अपने ड्रग पैराशूट को खोलते हुए देखा जा सकता है. जबकि बाकी J-20 टैक्सी फ्लाइट-लाइन पर जाती हैं. दूसरी तस्वीर में J-20 को कुछ चीनी F-7s के पीछे चलते हुए दिखाया गया है. ये रूस के मिग-21 का लाइसेंस बिल्ड वेरिएंट है. चीन ने 1964 में J-7 की डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग शुरू की थी. इसके नए J-20 स्टील्थ फाइटर जेट ने पहली बार 2011 में उड़ान भरी.

ऑल सोर्स एनालिसिस के भू-स्थानिक विश्लेषक सिम टैक के मुताबिक, “J-20 स्टील्थ फाइटर जेट आज के समय में चीन का सबसे हाइटेक ऑपरेशनल फाइटर जेट है. चीन के पूर्वी प्रांतों में मुख्य रूप से इसकी तैनाती की गई है.”

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हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब J-20 को तिब्बत में तैनात किया गया है. इस फाइटर जेट को साल 2020 और 2023 के बीच चीन के होटन प्रान्त के झिंजियांग में देखा गया था. लेकिन इस बार चीन ने J-20 की सबसे बड़ी तैनाती की है.

भारत के तेजस फाइटर जेट के पूर्व चीफ टेस्ट पायलट कमोडोर टीजे माओलंकर (रिटायर्ड) कहते हैं, “शिगात्से में चीन की ओर से J-20 की तैनाती का मकसद भारत को एक मैसेज भेजना है.” टीजे माओलंकर ने तेजस को पहली बार भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य पर उतारा था.
कमोडोर टीजे माओलंकर कहते हैं, “एक तरफ दिख रहा है कि चीनियों ने हिमालय पर अपनी फ्रंटलाइन क्षमताओं में महत्वपूर्ण कॉम्बेट एविएशन को पूरी तरह से शामिल कर लिया है. दूसरी ओर, यह एक बार फिर फिक्स्ड एयरफील्ड की वलनर्बिलिटी को दिखा है. चीनियों को इस तरह दिखावा करने में कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता.

चेंगदू J-20 (Chengdu J-20) को माइटी ड्रैगन के नाम से भी जाना जाता है. ये एक ट्विन इंजन वाला स्टील्थ फाइटर जेट है. इसे 2017 में सेवा में शामिल किया गया था. कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि चीन ने पहले से ही 250 से ज्यादा स्टील्थ फाइटर जेट तैनात किए हैं. रडार से इनकी निगरानी करना मुश्किल है.
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वैसे चीन स्टील्थ फाइटर जेट को एक्टिव तरीके से तैनात करने वाला दुनिया का तीसरा देश है. इन जेटों में सेंसरों की एक सीरीज होती है, जिसे समय-समय पर अपग्रेड किया जा रहा है. एयरफोर्स में स्टील्थ फाइटर जेट की रोल एक ‘सुपर फाइटर’ की तरह है. इसका कैरियर चीन की सबसे हाइटेक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है. इसमें PL-15 मिसाइल भी शामिल है. PL-15 के बारे में माना जाता है कि ये मिसाइल 300 किलोमीटर दूर से भी टारगेट हिट कर सकती है.

भारत भी अपनी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है. इसमें सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की रूसी निर्मित S-400 मिसाइल सिस्टम की तैनाती शामिल है. कथित तौर पर S-400 को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के फाइटर जेट को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

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