अंतराष्ट्रीय

एक हफ्ते भी पड़ी भीषण गर्मी (गर्मी )तो

बढ़ते हुए तापमान: दुनिया के ज्‍यादातर देश इस समय बढ़ते हुए तापमान  (गर्मी ) के संकट से दो-चार हो रहे हैं. अगर इसी तरह से वैश्विक तापमान बढ़ता रहा तो कुछ ही समय में दुनिया के करोड़ों लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो जाएगा. हाल में किए गए एक अध्‍ययन के नतीजों से पता चला है कि बढ़ते हुए तापमान और खाद्य सुरक्षा का सीधा संबंध है. कई देशों में पड़ रही रिकॉर्डतोड़ गर्मी के बीच किए गए इस ध्‍ययन से पता चला है कि गर्मी और बढ़ने पर महज कुछ ही दिनों के भीतर बड़ी तादाद में दिहाड़ी श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी की समस्‍या खड़ी हो जाएगी.

अध्‍ययन रिपोर्ट कहती है कि रोजी-रोटी की समस्‍या पैदा होने से लाखों-करोड़ों महिलाओं, पुरुषों और बच्‍चों के सामने एक वक्‍त के खाने का संकट खड़ा हो जाएगा. ऐसे में ये ये करोड़ों लोग भुखमरी के गहरे दलदल में फंस सकते हैं. नेचर ह्यूमन बिहेवियर मैग्‍जीन में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत में तापमान महज एक हफ्ते लगातार अपने चरम पर रहता है तो करीब 80 लाख अतिरक्ति लोगों को खाने-पीने की गंभीर समस्‍या का सामना करना पड़ सकता है. अगर इससे निपटने की तैयारी नहीं की गई तो भारत के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है.
एक फीसदी बढ़ी भोजन ना मिलने की आशंका तो…
अध्‍ययन में दुनिया के 150 देशों को शामिल किया गया था. शोध में उष्‍णकटिबंधीय और उप-उष्‍णकटिबंधीय इलाकों में मौजूद देशों पर खास ध्‍यान दिया गया कि अगर गर्मी बढ़ी तो वहां रहने वाली आबादी पर कितना गंभीर असर होगा? अध्‍ययन के नतीजे कहते हैं कि अगर गर्मी के चरम पर पहुंचने के समय में भोजन नहीं मिलने की आशंका में एक फीसदी से भी कम की वृद्धि दर्ज हुई तो शोध में शामिल 150 देशों में लाखों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बिना भोजन के भूख का सामना करना पड़ सकता है. वर्ल्‍ड बैंक का अनुमान है कि 2022 में दुनिया की आबादी के करीब 30 फीसदी हिस्से को मध्यम से लेकर गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा था.

शोध में पता चला कि अगर गर्मी बढ़ी तो 150 देशों में लाखों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को भूख का सामना करना पड़ सकता है.
तुरंत कैसे नजर आने लगेगा बढ़ती गर्मी का असर
अब तक खाद्य सुरक्षा पर गर्मी का असर फसलों की पैदावार कम होने तक ही सीमित था. इसका असर कई महीनों या कुछ साल बाद नजर आता था. नए अध्ययन के मुताबिक, अगर गर्मी के असर को घटने या खत्‍म हो जाने वाली आय से जोड़ दिया जाए तो असर तुरंत दिखाई देने लगेगा. शोध के मुख्य लेखक और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कैरोलिन क्रोगर के मुताबिक, अगर आज ही ज्‍यादा गर्मी पड़े तो कुछ ही दिन में लोगों के काम ना कर पाने के कारण खाने-पीने का संकट खड़ा हो जाएगा. दरअसल, दिहाड़ी कमाई करने वालों को बढ़ती गर्मी के कारण कोई आय नहीं होगी. इससे वे अपने और अपने परिवार के लिए खाने-पीने की चीजें नहीं खरीद पाएंगे और उनको भूख का सामना करना होगा.

किन लोगों पर सबसे पहले ज्‍यादा दिखेगा असर
भुखमरी का संकट उन लोगों पर सबसे तेजी से नजर आएगा, जिनकी आमदनी उत्पादकता से जुड़ी होती है. इसमें खेतों में फसलों की बुआई, कटाई, माल ढुलाई, रिक्‍शा चालक, ठेले वाले, रेहड़ी-पटरी वाले, फैक्‍ट्री में डेली वेजेज पर काम करने वाले, निर्माण क्षेत्र में दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग शामिल हैं. ऐसे लोगों को हर दिन काम के हिसाब से आमदनी होती है. इस रोज होने वाली आमदनी से ही वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. अगर वे बढ़ती गर्मी के कारण काम नहीं कर पाएंगे या कम काम करेंगे तो उनकी आय पर सीधा असर पड़ेगा. अब मान लीजिए किसी फैक्‍ट्री में काम करने वाला व्‍यक्ति एक दिन में किसी प्रोडक्‍ट के 100 पीस बनाता है और वो बढ़ती गर्मी के कारण सिर्फ 50 पीस बनाता है तो उसकी आय भी आधी रह जाएगी.

गर्मी का स्‍वास्‍थ्‍य पर भी नजर आएगा बुरा असर
नेचर ह्यूमन बिहेवियर मैग्‍जीन में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक, अध्‍ययन के लेखक क्रोगर कहते हैं कि कम आय, ज्यादा कृषि आधारित रोजगार और ज्यादा संवेदनशील रोजगार वाले देशों में इसका असर सबसे ज्‍यादा दिखता है. उन्‍होंने पाया कि हाल में हफ्तेभर भीषण गर्मी झेलने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा पड़ा है. ऐसे में उन्‍हें और उनके परिवार को घटती आय के कारण जीवन जीने में आने वाली दिक्कतों का ज्‍यादा सामना करना पड़ सकता है. इससे उनकी आय काफी गिर जाती है. रिपोर्ट कहती है कि हफ्ते में जितने ज्यादा गर्म दिन होंगे, असर उतना ही ज्‍यादा होगा. साल 2021 में 470 अरब श्रम घंटे भीषण गर्मी की भेंट चढ़ गए, जो दुनियाभर में प्रति व्यक्ति करीब डेढ़ हफ्तों के काम के बराबर है.
भारत के चावल निर्यात पर पाबंदी से बुरे हाल
अध्‍ययन के नतीजे ऐसे समय में आए हैं, जब दुनियाभर में खाने-पीने की चीजों के दाम लगातार बरकरार रहने वाली महंगाई की चपेट में हैं. वहीं, दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने बेमौसमी बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान के बाद निर्यात पर पाबंदी लगा दी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि केवल आपूर्ति और दाम ही समस्या नहीं हैं. शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि बढ़ते तापमान के कारण कई मुख्य फसलों और दालों में आवश्यक पोषक तत्वों की भी कमी हो सकती है. क्रोगर कहते हैं कि बीते एक या दो साल में रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ी है. ऐसे में हालात बिगड़ने के पूरे आसार हैं. संयुक्त राष्ट्र की आईपीसीसी जलवायु विज्ञान सलाहकार समिति का कहना है कि 2080 तक करोड़ों लोग हर साल कम से कम 30 घातक गर्म दिनों से प्रभावित होंगे.

 

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