उत्तराखंड

सच लिखने से ज्यादा सुनना कठिन होता है

 शिवाकान्त पाठक
क्यों अपने अस्तित्व से पतन की ओर जा रहा है मानव समाज, चाँद पर आसियाना बनाने का दावा करने वाला चंद पैसों के लालच में अपनों, अपने देश, परिवार, मुहल्ले, के लोगों के साथ विस्वासघात करने वाला मानव आज बेबस व लाचार दिख रहा है लेकिन फिर भी अपने आप को सुधारने की भूल नहीं कर सकता क्यों कि खून में भृष्टाचार समाहित हो चुका है जिस देश की सुप्रीम कोर्ट, व सरकारें यह मान चुकी हों कि भृष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता तो सोचिये की स्थिति कितनी भयानक परिस्थितियों से गुजर रही होगी, इंसान इस प्रकृति की सर्व श्रेष्ठ संरचना है ईश्वर ने अपनी तमाम खूबियों व शक्तियों का समावेश इंसान में करके इसे मानव शरीर दिया है तो फिर मात्र 6 फुट कफन के लिए कितना कुछ अपने जीवन में बेखौफ करता जा रहा है आज का मनुष्य क्यों आखिर क्यों सोचिये जोर डालिये अपनी बुद्धि पर भौतिक वैग्यानिक कहते हैं कि भूकंप के समय चुम्बकीय क्षेत्र में भारी फेर बदल होता है यह सच भी है यह परिवर्तन इतना सूक्ष्म होता है कि कि निश्चित समय से पहले संवेदनशील यंत्रों से पकड़ पाना या कवर करना नामुमकिन होता है जबकि अन्य जीव जंतु जैसे कुत्ते, बिल्ली, लोमड़ी, चूहे, चमगादड़ व्हेल, डाल्फिन आदि 10 लाख साइकिल्स प्रति सेकेंड तक की ध्वनियों को सुन सकते हैं तभी तो इसी वजह से पृथ्वी पर होने वाली सूछ्म हलचलों की जानकारी इन सभी प्राणियों को मनुष्य से पहले मिल जाती हैं मनुष्य को यंत्रों का सहारा लेना पड़ता है लेकिन इन प्राणियों को ईश्वर की तरफ से दी गयी शक्ति पर भरोसा है तभी तो भूकंप, ज्वालामुखी, आदि विस्फोटक घटनाओं से वे बच जाते हैं सोचिये जंगली जानवरों के लिए ना तो कोई अस्पताल हैं ना ही ऐसी, कूलर आदि तो फिर ये कैसे जीवन बिताते हैं मनुष्य की महत्वाकांक्षायें ही उसके पतन का कारण हैं बात सिर्फ ये है कि हम नहीं सुधरेंगे, कोई गुंजाइस भी नहीं है सुधरने की 50 कोरोना संक्रमित होने पर नवोदय नगर चौक सील हो सकता है परन्तु 1700 कोरोना पोजटिव पर हरिव्दार नहीं हो सकता क्यों भाई कौन मांगेगा जबाब और किसे पड़ी है पूछने की क्यों पूछेगा कोई यहां तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही हैं जो सच बोलेगा चल भाई जेल तूने सच क्यों बोला किसने कहा था सच बोलना कलियुग में जरूरी है अजीब उलझन है साहब करें तो क्या करें!

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