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अंतरिक्ष में इसरो एक बार फिर धमाल(अंतरिक्ष) 

नई दिल्ली: स्पेस (अंतरिक्ष)  टेक्नोलॉजी सेक्टर में कई चमत्कार कर चुका इसरो आज फिर एक नया इतिहास रचने जा रहा है। इसरो ने अपने PSLV-C60 SpaDeX मिशन को लॉन्च कर दिया है। इसरो इस मिशन को लॉन्च करने के लिए दो उपग्रहों का इस्तेमाल कर रहा है। इनका नाम चेजर और टारगेट है। इनका वजन 220 किलो होगा।

ये मिशन भारत के लिए किसी ऐतिहासिक मौके से कम नहीं है। क्योंकि अगर यह मिशन सफल होता है, तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास स्पेस में डॉकिंग करने की टेक्नोलॉजी होगी। स्पैडेक्स की टेक्नोलॉजी अभी सिर्फ और सिर्फ तीन देशों के पास है।

इस मिशन की कामयाबी पर ही भारत का चंद्रयान-4 मिशन निर्भर
इस मिशन की कामयाबी पर ही भारत का चंद्रयान-4 मिशन निर्भर है, जिसमें चंद्रमा की मिट्टी के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे। चंद्रयान-4 मिशन को 2028 में लॉन्च किया जा सकता है।

SpaDeX का मतलब क्या है?
SpaDeX का मतलब है, स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट। इस मिशन में पीएसएलवी-सी 60 से छोड़े जाने वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान की डॉकिंग की जाएगी। डॉकिंग का मतलब होता है स्पेस में दो अंतरिक्ष यानों या सैटेलाइट को जोड़ना और अनडॉकिंग का मतलब है अंतरिक्ष में रहते हुए इन दोनों को अलग करना।

इसरो अपने मिशन से ऐसा करने की तकनीक का प्रदर्शन करेगा। इस मिशन को लॉन्च करने के बाद इन्हें डॉकिंग के जरिए जोड़ने और अनडॉकिंग की प्रॉसेस से अलग-अलग करने का प्रयोग किया जाएगा। इस मिशन का लक्ष्य है कि चेजर अपने टार्गेट का पीछा करे। ये प्रक्रिया भविष्य के बड़े लक्ष्यों को हासिल करने में अहम साबित हो सकती है। भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना चाहता है और आज का मिशन इसके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

बता दें कि अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है, जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। इसरो के मुताबिक, स्‍पाडेक्‍स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।

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