एलएसी पर इजरायली नेगेव(Israeli Negev) LMG, अमेरिकी M777 हल्की तोपें और यूएवी तैनात.

नई दिल्ली. भारतीय सेना ने सीमा पर चीन की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जोरदार तैयारी की है. एलएसी पर सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए इजरायली नेगेव (Israeli Negev) LMG, अमेरिकी M777 हल्की तोपें और यूएवी को तैनात किया गया है. इसके साथ ही अग्रिम ठिकानों पर बड़ी संख्या में हेलीपैड भी बनाए गए हैं. विशेष रूप से चिनूक हेलीकाप्टरों के लिए ये हेलीपैड बनाए गए हैं. जो सीमा पर कम समय की सूचना पर भारी सैन्य उपकरणों को एयरलिफ्ट कर सकते हैं.
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि सेना ने पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी क्षमताओं को काफी बढ़ाया है. पिछले साल से नए हथियारों और उपकरणों की एक सीरिज को शामिल किया गया है. जिनमें इजरायली नेगेव लाइट मशीन गन (एलएमजी) और सिग सॉयर राइफल्स, एम777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोप (यूएलएच) और अमेरिका से खरीदे गए सभी जगह चल सकने वाले वाहन (एटीवी), स्वीडिश रॉकेट लॉन्चर और दूसरे यूएवी के साथ स्वदेशी मानव रहित विमान शामिल हैं
नए हथियारों से सेना की मारक क्षमता बहुत बढ़ी
पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में माउंटेन ब्रिगेड की कमान संभालने वाले ब्रिगेडियर ठाकुर मयंक सिन्हा ने कहा कि नए हथियारों और उपकरणों के इस्तेमाल से इस इलाके में सेना की मारक क्षमता और निगरानी क्षमता बहुत बढ़ी है. उन्होंने कहा कि इस इलाके में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर एक नये सिरे से फोकस किया गया है. जिसमें सीमाओं तक सड़कों और ट्रैक का निर्माण, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों के लिए सभी आगे के मोर्चों पर हेलीपैड का निर्माण, फाइबर केबल्स और सैटेलाइट टर्मिनलों की स्थापना और ऑप्टिकल बिछाने के साथ संचार के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है.
नए हथियार और उपकरण
पैदल सेना की बटालियनों के लिए नए शामिल किए गए दो छोटे हथियार हैं- इजरायल की नेगेव एलएमजी और अमेरिकी सिग सॉयर राइफल. नेगेव एक 5.56×45 मिमी नाटो लाइट मशीन गन है. ये सेना की मौजूदा इंसास एलएमजी की जगह लेंगी. भारत ने मार्च 2020 में फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट रूट के जरिए 16,497 नेगेव एलएमजी का ऑर्डर दिया था. अमेरिकी सिग सॉयर राइफल सेना द्वारा इस्तेमाल की जा रही इंसास राइफलों की जगह लेगी. भारत ने फरवरी 2019 में फास्ट ट्रैक खरीद के माध्यम से 72,400 सिग सॉयर राइफल्स का ऑर्डर दिया था.
सेना ने उच्च-गतिशीलता वाली M777 हल्की तोपों की एक बड़ी संख्या भी एलएली पर तैनात की है. जिनमें से 145 को BAE सिस्टम्स से खरीदा गया था. ये इस इलाके के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख में LAC पर भारत की मारक क्षमता को काफी बढ़ा रहा है. 155 मिमी. की 39-कैलिबर टॉव्ड आर्टिलरी गन को चिनूक हेलीकॉप्टरों से कम समय की सूचना पर एयरलिफ्ट किया जा सकता है और तेजी से सीमाओं पर तैनात किया जा सकता है.
टोह के लिए कई यूएवी भी तैनात
सेना ने कई स्वदेशी स्विच यूएवी भी तैनात किए हैं, जो एलएसी की ऊंचाई की जगहों के लिए खुफिया निगरानी और टोही भूमिकाओं के लिए बनाए गए सामरिक ड्रोन हैं. मुंबई स्थित निजी फर्म आईडियाफोर्ज से बने स्विच यूएवी को पहली बार पिछले साल सेना में शामिल किया गया था. उनके अलावा इस इलाके में तैनात अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों में स्वीडन का नया 84 मिमी. रॉकेट लॉन्चर मार्क III शामिल है. जो एक मिनट में छह राउंड फायर कर सकता है. अमेरिकी से आए ATVs अधिकतम चार लोगों को ले जा सकते हैं.
एलएसी के किनारे हेलीपैड
अधिकारियों ने कहा कि अग्रिम ठिकानों पर बड़ी संख्या में विशेष रूप से चिनूक के लिए हेलीपैड बनाए जा रहे हैं. जो सीमा पर एक छोटी सूचना पर भारी सैन्य उपकरणों को बड़ी संख्या में हवाई रास्ते से ले जा सकते हैं और चौकियों के लिए रसद सप्लाई सुनिश्चित कर सकते हैं. ज्यादातर अग्रिम चौकियों पर हेलीपैड का निर्माण किया जा चुका है