अंतराष्ट्रीय

चीन की धरती से इजरायल पर बरसे इस्लामिक देश(चीन)

बीजिंग. चीन  (चीन) के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को बीजिंग में चार अरब देशों और इंडोनेशिया के विदेश मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि उनका देश जितनी जल्दी हो सके गाजा में युद्ध को समाप्त करने के लिए अरब और इस्लामी दुनिया में ‘‘अपने भाइयों और बहनों’’ के साथ काम करेगा.

सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, फलस्तीनी प्राधिकरण और इंडोनेशिया के मंत्रियों ने विभिन्न देशों की आगामी यात्रा के तहत बीजिंग से दौरे की शुरुआत करने का फैसला किया, जो चीन के बढ़ते भू-राजनीतिक प्रभाव और फलस्तीनियों के लिए उसके दीर्घकालिक समर्थन को दिखाता है. वांग यी ने दौरे पर आए विदेश मंत्रियों से कहा कि बीजिंग से यात्रा की शुरुआत करने का उनका निर्णय चीन के प्रति उनके उच्च स्तर के विश्वास को दर्शाता है.

वांग ने वार्ता शुरू होने से पहले राजकीय अतिथि गृह में प्रारंभिक टिप्पणी में कहा, ‘चीन अरब और इस्लामी देशों का एक अच्छा दोस्त और भाई है. हमने हमेशा अरब (और) इस्लामी देशों के वैध अधिकारों और हितों की दृढ़ता से रक्षा की है और हमेशा फलस्तीनी लोगों का दृढ़ता से समर्थन किया है.’

चीन लंबे समय से फलस्तीनियों का समर्थन करता रहा है और कब्जे वाले क्षेत्रों में बस्तियों को लेकर इजराइल की निंदा करता रहा है. चीन ने सात अक्टूबर को हमास के हमले की आलोचना नहीं की है जबकि अमेरिका और अन्य देशों ने इसे आतंकवादी कृत्य कहा है. हालांकि, चीन के इजराइल के साथ आर्थिक संबंध बढ़ रहे हैं.
सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने तत्काल संघर्ष विराम और गाजा पट्टी में मानवीय सहायता तथा राहत पहुंचाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘अभी भी हमारे सामने खतरनाक घटनाक्रम हो रहे हैं और मानवीय संकट है जिससे निपटने और इसका मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की आवश्यकता है.’

मार्च में, बीजिंग ने एक समझौते में मदद की, जिसमें सऊदी अरब और ईरान ने सात साल के तनाव के बाद संबंधों को फिर से स्थापित किया. प्रिंस फैसल ने पिछले सप्ताहांत कहा था कि पांचों विदेश मंत्री संघर्ष विराम पर जोर देने, गाजा में सहायता पहुंचाने और युद्ध को समाप्त करने के प्रयास में कई देशों की राजधानियों का दौरा करेंगे. इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा भी उनके साथ बीजिंग की यात्रा पर हैं.

फलस्तीनी प्राधिकरण के विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने कहा, ‘‘यह फलस्तीनी लोगों के खिलाफ इजराइल का पहला युद्ध नहीं है. हालांकि, इजराइल चाहता है कि यह उसका आखिरी युद्ध हो, जहां वह फलस्तीन की बची हुई ऐतिहासिक भूमि पर पूरा नियंत्रण बना ले.’

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