किसान नेता Rakesh Tikait पर फेंकी स्याही !
बेंगलुरु, – कर्नाटक में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता Rakesh Tikait की सुरक्षा में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। बेंगलुरु में गांधी भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक शख्स ने उन पर काली स्याही फेंक दी। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है।
‘सरकार की मिली भगत से फेंकी गई स्याही’
भाकियू नेता Rakesh Tikait अपने ऊपर काली स्याही डालने के मामले में कहा कि स्थानीय पुलिस की ओर से यहां कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब सरकार की मिलीभगत से किया गया है।
कृषि आंदोलन को लेकर चर्चा में आए थे राकेश टिकैत
तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर एक साल से भी अधिक समय तक चले किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अब अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। किसान आंदोलन के दौरान लगातार अराजनैतिक होने का दावा करने के बावजूद राकेश टिकैत के योगी और मोदी सरकार के खिलाफ बयानों ने राकेश टिकैत को अर्श से फर्श पर पटक दिया। कुल मिलाकर देश के बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की जयंती पर भारतीय किसान यूनियन बंट गया। इसके बंटने के पीछे राकेश टिकैत के बेतुके बयानों और कृत्यों का माना जा रहा है।
भाजपा के खिलाफ राजनीति करना पड़ा भारी
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में खुलकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ राजनीति करना राकेश और नरेश टिकैत को भारी पड़ गया। पिछले डेढ़ साल के दौरान राकेश टिकैत ने जिस तरह से योगी और मोदी सरकार के खिलाफ बयान दिए, उसने फायदे से ज्यादा नुकसान करा दिया।
यही वजह है कि राकेश टिकैत के करीबियों-सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ते हुए नए किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक का गठन किया है। इस संगठन में सबसे बड़ी गठवाला खाप के चौधरी को चेयरमैन और राष्ट्रीय संरक्षक बनाया गया है। राकेश टिकैत इस भ्रम में थे कि वह किसानों के बड़े नेता बन चुके हैं और वह यूपी, हरियाणा और पंजाब ही नहीं, बल्कि देशभर की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।
किसी की नहीं सुनते थे राकेश टिकैत
सूत्रों का कहना है कि राकेश टिकैत पिछले एक साल के दौरान मनमाने फैसले लेते रहे। भारतीय किसान यूनियन में सिर्फ राकेश टिकैत की ही चलती थी। किसी को फैसला लेना तो छोड़ सलाह देने की भी अनुमति नहीं थी। जो सलाह या सुझाव देता भी था, उसे दरकिनार कर दिया जाता था।