भारत के पड़ोसी देश नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल,शिवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ की संभावना

काठमांडू,आज यानी 18 फरवरी को भोलेनाथ के भक्त शिवालयों में जलाभिषेक कर रहे हैं। भारत के पड़ोसी देश नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर परिसर में प्रवेश करने के लिए भक्तों की लंबी लाइनें लगी हैं। महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करने वाले भक्त दूर-दूर तक टेढ़ी-मेढ़ी लाइनों में लगे हैं।
साहिल का परिवार थोड़ा था नाखुश,इस शादी में महज 2 लोग हुए थे शामिल
तड़के तीन बजे से ही खुल गए मंदिर के कपाट
शिवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए पशुपति क्षेत्र विकास न्यास ने शनिवार को तड़के तीन बजे से ही मंदिर के चारों द्वार खोल दिए थे। भक्तों को मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए लोग अपनी बारी का इंतजार करने के लिए बाहर तीन और अंदर पांच लंबी लाइन बनाकर खड़े हैं।
5 हजार सुरक्षाकर्मी संभाल रहे हैं व्यवस्था
पूजा और दर्शन के लिए पशुपतिनाथ मंदिर आने वाले भक्तों की भीड़ को संभालने के लिए पहले से ही व्यवस्था की गई थी। इसके लिए करीब 5,000 सुरक्षाकर्मियों और 4,000 स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में स्वास्थ्य शिविर भी लगाए गए हैं।
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सभी जीवित प्राणियों के स्वामी हैं पशुपतिनाथ
चंद्र कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। काठमांडू में स्थित इस हिंदू तीर्थ स्थल पशुपतिनाथ में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ी है। एक वैदिक व्याख्याता गोविंदा शरण उपाध्याय ने बताया कि भगवान पशुपतिनाथ सभी जीवित प्राणियों के स्वामी हैं। जन्म और मरण के बंधन में आने वाले सभी प्राणियों को पशु माना जाता है और उनके स्वामी ‘पशुपतिनाथ’ हैं।
शिवरात्रि पर छह अलग-अलग समय में होती है पूजा
शिवरात्रि पर भगवान शिव की छह अलग-अलग समय अवधि में पूजा की जाती है। उस दौरान लोग रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय का जाप करते हैं। भक्त भोलेनाथ के भजन गाते हैं, दान देते हैं और अनुष्ठान करते हैं। पूरे दिन लोग बिना कुछ खाए उपवास करते हैं। कुछ फल खाते हैं और विशेष परिस्थितियों वाले लोग खाद्य पदार्थ खाते हैं। सभी मंदिर में भगवान पशुपतिनाथ की पूजा करने आते हैं।
मान्यता है जीवन के दुख होते हैं दूर, मिलती है समृद्धि
शिवरात्रि को भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं। इस दिन प्रार्थना करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। कुछ लोगों द्वारा दिन में उपवास रखा जाता है और रात को शिव को मनाते हुए जागरण किया जाता है।
कैलाशकूट और किरतेश्वर में होते हैं शास्त्रीय नृत्य
लोग घर में, सार्वजनिक चौराहों पर और मंदिरों में हवन करते हैं, भजन गाते हैं और इस अवसर पर प्रसाद ग्रहण करते हैं। काठमांडू में पशुपति क्षेत्र के कैलाशकूट और किरतेश्वर में शास्त्रीय नृत्य किए जाते हैं। नेपाल पंचांग निर्धारण समिति के अनुसार, फाल्गुन की कृष्ण चतुर्दशी की मध्य रात्रि में ब्रह्मा ने शिव का रूप धारण किया था। इसलिए इस दिन प्रार्थना, पूजा और भगवान शिव के मंदिरों में भक्त दर्शन करने जाते हैं।
भारत से सैकड़ों साधु पहुंचे हैं दर्शन करने
पशुपतिनाथ मंदिर में भक्तों के अलावा नेपाल और भारत के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों साधु पहुंचे हैं। उन्होंने मंदिर के चारों ओर विभिन्न स्थानों पर डेरा डाला है। यहां वे अलाव जलाकर शिव साधना में लीन हैं।