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Indian students sparked discussion : भारत में महंगी है मेडिकल शिक्षा?

नई दिल्ली। Indian students sparked discussion : भारत में महंगी है मेडिकल शिक्षा? रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान पहले दिन से ही वहां फंसे भारतीय students छात्रों की चर्चा छिड़ी हुई है। इनमें ज्यादातर छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने वहां गए हैं। इस संकट ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर वह कौन सा कारण है जो भारत के बच्चों को विदेश जाकर पढ़ने के लिए मजबूर या प्रोत्साहित करता है। इसमें थोड़ा गहराई में जाकर पड़ताल करें तो दो कारण मुख्य रूप से नजर आते हैं, पहला है सस्ती शिक्षा और दूसरा है देश में विकल्पों की कमी। आमतौर पर विदेश में पढ़ाई की बात आते ही हमारे मन में विचार आता है।

सस्ती डिग्री की चाह ले जाती है विदेश, भारत में महंगी है मेडिकल शिक्षा

कि वह खर्च भारत में पढ़ने के मुकाबले निश्चित तौर पर ज्यादा ही होगा। हालांकि ऐसा नहीं है। एमबीबीएस की पढ़ाई की बात की जाए तो कई देश हैं, जहां से पढ़ना अपने देश के मुकाबले बहुत सस्ता पड़ जाता है। भारत में मेडिकल कालेज में मैनेजमेंट कोटा से पढ़ाई का खर्च कुल साढ़े चार साल में 30 से 70 लाख रुपये आता है। हास्टल, मेस, डेवलपमेंट चार्ज और परीक्षा शुल्क जैसे अन्य खर्चो को जोड़कर यह और भी ऊपर चला जाता है।

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वहीं चीन, रूस, यूक्रेन और किर्गिस्तान जैसे देशों में 20 से 35 लाख रुपये में पढ़ाई हो जाती है। रहना-खाना और साल में एक बार घर आने-जाने का खर्च मिलाकर भी 50 लाख से कम ही खर्च होता है। चीन, यूक्रेन जैसे देशों के कई कालेजों की पढ़ाई की गुणवत्ता कम पाई गई है। इसे देखते हुए सरकार ने यहां आने के बाद उनके लिए स्क्रीनिंग टेस्ट अनिवार्य किया है। यह भी इन छात्रों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता।

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देश में मेडिकल कालेजों में सीटों की कुल उपलब्धता से स्पष्ट है कि बड़ी संख्या में बच्चे नीट क्वालिफाई करने के बाद भी यहां किसी कालेज में प्रवेश नहीं ले पाते हैं। ऐसे में विदेश के सस्ते विकल्प उन्हें आकर्षित करते हैं। एक कारण यह भी है कि विदेश के इन मेडिकल कालेजों में प्रवेश पाना भारत के कालेजों की तुलना में आसान और कम प्रतिस्पर्धी भी होता है। नीट में कम अंक पाने वाले बच्चे भी वहां प्रवेश पाने में सफल हो जाते हैं।

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