फाइटिंग मशीन में बदलने वाले हैं भारतीय सैनिक

बॉर्डर (fighting machine) पर तैनात भारतीय सैनिक अब फाइटिंग मशीन (fighting machine) में बदलने वाले हैं। सिर पर बैलिस्टिक हेलमेट, आंखों में बैलिस्टिक गॉगल्स, बॉडी पर बुलेट जैकेट, कोहनी पर एब्लो पैड, घुटने पर नी पैड्स, कानों में हेडसेट, हाथों में AK-203 ऑटोमेटिक राइफल।
इनके जरिए चारों तरफ से होने वाले हमलों पर बेहतर नजर रखी जा सकती है। साथ ही एक के बाद एक सीट होने से दोनों तरफ के सैनिकों को फायरिंग करने के लिए 3-3 पोर्ट मिल जाते हैं। यह भारत की उत्तरी सीमा के सैनिकों को तेजी और ज्यादा सुरक्षा देगा।
इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल को मेसर्स टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड ने बनाया है। ये पूरा सिस्टम बॉर्डर पर तैनात सैनिकों को दिया जाएगा। इनमें आधुनिक हथियार और इक्विपमेंट रहेंगे, जिनका वजन काफी कम होगा।
ये हर मौसम में सभी इलाकों यानी पहाड़, रेगिस्तान, मैदान सब जगह काम आएंगे। निपुण माइंस को एंटी पर्सनल माइंस कहते हैं। DRDO ने इन्हें सॉफ्ट टारगेट ब्लास्ट म्यूनिशन नाम दिया है। ये एंटी टैंक माइंस की तरह काम करते हैं।
एंटी टैंक माइंस को भारी वाहनों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। वहीं निपुण माइंस को घुसपैठियों और दुश्मन पैदल सैनिकों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा। यह एक ऑटोमेटिक टेलीफोन एक्सचेंज है। इससे आर्मी का लाइन कम्युनिकेशन बेहतर होगा।
यह पूरी तरह डिजिटल है और इसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता। बॉर्डर वाले इलाकों में सैनिकों से बात करने के लिए यह बेहतर सिस्टम है। भारतीय सेना के पास इससे पहले जो एक्सचेंज थे, वो नए इंटरनेट प्रोटोकॉल तकनीक के साथ काम नहीं कर सकते थे।