चीन के दुश्मन देश को भारत ने दे दी ब्रह्मोस
भारत फिलीपींस संबंध: भारत ने चीन की सीमा के करीब घातक ब्रह्मोस मिसाइलों की डिलीवरी कर दी है. भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ने चीन के पड़ोसी फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप सौंपी है. फिलीपींस से आई इन तस्वीरों को चीन की सरकार और सेना जरूर देख रही होंगी.. इसी पर मेरा सवाल है कि PM मोदी ने अपना ‘ब्रह्मास्त्र’ देकर चीन की मुसीबत बहुत ज्यादा बढ़ा दी.
असल में चाणक्य नीति ये कहती है कि दुश्मन का दुश्मन..दोस्त होता है..और ब्रह्मोस के जरिए भारत ने यही काम किया है..चीन भारत का दुश्मन है फिलीपींस के साथ भी चीन के संबंध अच्छे नहीं हैं..और ब्रह्मोस मिसाइल को अपनी दो-दो सीमाओं पर तैनात देखकर चीन ही नहीं दुनिया का कोई भी देश टेंशन में आ जाएगा. ब्रह्मोस मिसाइल 3400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला करती है. इसे दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में एक माना जाता है.
देश के डिफेंस एक्सपर्ट्स से बात करने के बाद हम आपको ब्रह्मोस की कुछ खास बातें बताते हैं.- सबसे पहली बात ब्रह्मोस के हमले को रोकना लगभग नामुमकिन है..ये एक बार चलेगी तो टारगेट बर्बाद करके ही रुकेगी.- अब चीन के खिलाफ फिलीपींस की मिलिट्री ताकत और बढ़ जाएगी..उनके पास ऐसी कोई मिसाइल पहले से मौजूद नहीं है..- चीन सीमा पर भारत ने मिसाइल तैनात की है..और अब फिलीपींस-चीन सीमा पर भी ब्रह्मोस तैनात हो गई- समंदर में एक और मोर्चे पर चीन की सेना घिर गई है..- और सबसे बड़ी बात, ब्रह्मोस में चीन के एक और पड़ोसी वियतनाम ने भी दिलचस्पी दिखाई है. ये चीन के लिए खतरे की घंटी है.
समंदर के रास्ते फिलीपींस पहुंची ब्रह्मोस
अभी तो ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप हवा और समंदर के रास्ते फिलीपींस पहुंची है..आने वाले वक्त में ऐसी और मिसाइलें वहां पहुंचने वाली हैं..फिलीपींस और चीन के बीच सीमा पर कई झगड़े हो चुके हैं..और ब्रह्मोस की तैनाती होते ही चीन के खिलाफ फिलीपींस को ताकतवर हथियार मिल जाएगा…
भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट विमानों ने आज ब्रह्मोस मिसाइलों को फिलीपींस की मरीन कोर को सौंप दिया है. और फिलीपींस पहला देश है जिसे भारत ने ये मिसाइलें बेची हैं.- ब्रह्मोस मिसाइल के कुल तीन सिस्टम फिलीपींस को मिलेंगे, अभी पहली खेप मिली है- हर सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक राडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर होता है- ब्रह्मोस के साथ-साथ भारत..फिलीपींस को मिसाइल चलाने की ट्रेनिंग भी दे रहा है- फिलीपींस को 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलें मिली हैं जिससे समंदर में किसी युद्धपोत या जहाज पर हमला संभव है.- जनवरी 2022 में भारत-फिलीपींस के बीच 3 हजार करोड़ रुपये की डील हुई और अप्रैल 2024 से डिलीवरी शुरु हो गई.
फिलीपींस ने अपनी नौसेना के लिए ब्रह्मोस को खरीदा है और ये भारत के लिए हथियारों का पहला बड़ा निर्यात है. ब्रह्मोस डील से भारतीय स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री की ताकत बढ़ेगी..और भारत को हथियारों के भरोसेमंद एक्सपोर्टर के रूप में भी देखा जाएगा.
सबसे तेज़ और हल्की सुपर-सोनिक मिसाइल..
ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज़ और हल्की सुपर-सोनिक मिसाइलों में से एक है और चीन के लिए अगली बुरी खबर ये है कि फिलीपींस ये मिसाइलें साउथ चाइना सी में तैनात करेगा. यही वो जगह है जहां चीन-फिलीपींस के बीच सबसे बड़ा सीमा विवाद है.
– भारत और रूस ने मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल को विकसित किया है.
– इस समय भारतीय नौसेना, सेना और वायुसेना तीनों ही ब्रह्मोस का इस्तेमाल करते हैं
– भारतीय नौसेना के लगभग सभी बड़े जंगी जहाज़ों को ब्रह्मोस से लैस किया गया है
ब्रह्मोस भले ही चीन की सीमा पर पहुंची है पर इसकी चर्चा भारत के दूसरे दुश्मन पाकिस्तान में भी शुरु हो गई है.पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा का कहना है कि पाकिस्तान इसलिए नहीं बेच सकता क्योंकि हम गलत लोगों के साथ हैं, हमारे बारे में माना जाता है कि हम चीन के यार हैं. ना हम पश्चिमी देशों से कुछ ले सकते हैं ना जो हमने बनाया वो कहीं बेच सकते हैं.
मेरिका ने चीन के खिलाफ फिलीपींस को सुरक्षा गारंटी दी..
ब्रह्मोस की खबर से ठीक एक हफ्ते पहले बाइडेन ने फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस के साथ वॉशिंगटन में मुलाकात की. वहां अमेरिका ने चीन के खिलाफ फिलीपींस को सुरक्षा गारंटी दी और अब भारत ने फिलीपींस को घातक ब्रह्मोस दिया..यानी मोदी-बाइडेन मिलकर चीन के खिलाफ फिलीपींस की ताकत बढ़ा रहे हैं.
चीन की मुसीबत बढ़ानेवाली एक और तस्वीर दक्षिण कोरिया से आई है. जहां अमेरिका और दक्षिण कोरिया के 100 से ज्यादा लड़ाकू विमानों ने मिलकर दुश्मन का सामना करने की तैयारी की..इसमें दुनिया का सबसे एडवांस लड़ाकू विमान एफ-35 भी शामिल हुआ..दोनों देशों की ये तैयारी 26 अप्रैल तक जारी रहेगी..और तबतक जिनपिंग सेना की नींद उड़ी रहेगी. चीन के लिए चिंता की बात ये है कि भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदनेवाला पहला देश फिलीपींस बन गया है और उसका एक और पड़ोसी देश वियतनाम भी ब्रह्मोस खरीदने की लाइन में लगा हुआ है.
वैज्ञानिकों की मदद से स्वदेशी हथियार बनाए..
भारत ने वैज्ञानिकों की मदद से स्वदेशी हथियार बनाए…और उनको दूसरे देशों को बेचकर पैसे भी कमाए- सिर्फ इस साल 21 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा के हथियार बेचे गये हैं..पिछले साल के मुकाबले ये 32 प्रतिशत ज्यादा है- 2004 से 2014 तक 10 सालों में सिर्फ 4 हजार तीन सौ करोड़ का मिलिट्री साजो-सामान एक्सपोर्ट किया गया. जबकि पिछले 10 सालों में इससे 20 गुना अधिक 88 हजार 300 करोड़ से ज्यादा का एक्सपोर्ट हुआ है.
ब्रह्मोस का एक्सपोर्ट फिलीपींस को होने का बड़ा असर होगा..अब हमारी स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री की ताकत बढ़ेगी. दुनिया में हमें हथियार एक्सपोर्ट करनेवाले देशों में गिना जाएगा और एशिया सहित दूसरे इलाकों में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में भी मदद मिलेगी.