रूस को शांति (Russia for peace)के लिए राजी कर सकता है भारत!

वाशिंगटन. इस हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर की मास्को यात्रा से पहले कई राजनयिक और विदेश नीति विशेषज्ञ रूस और यूक्रेन के बीच शांति के लिए दबाव बनाने में भारत की संभावित भूमिका पर करीबी नजर रख रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत पहले से ही विचार करता रहा है कि सही समय पर शांति (Russia for peace) स्थापित करने के प्रयासों में उसकी क्या भूमिका हो सकती है. इस मामले में मुख्य गतिरोध रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत करने की अनिच्छा है. यूक्रेन महसूस कर रहा है कि युद्ध के मैदान में उसे सफलता मिल रही है. तो दूसरी ओर रूस भी बात करने के मूड में नहीं है.
युद्ध के कारण ऊर्जा की बढ़ती कीमतें यूक्रेन में आम लोगों के जीवन को वास्तव में दयनीय बना देती हैं तो समझौता या युद्धविराम संभव हो सकता है. गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक शांति वार्ता आयोजित करने का विचार रखा था. हालांकि यह विचार अमल में नहीं आ पाया. दोनों पक्षों के साथ बेहतर संबंधों के कारण भारत को एक संभावित शांतिदूत के रूप में देखा जा रहा है. अगर रूस और यूक्रेन किसी तटस्थ तीसरे पक्ष की मध्यस्थता में रुचि व्यक्त करते हैं, तो भारत दोनों पक्षों की विश्वसनीयता के साथ एक मजबूत उम्मीदवार होगा. पीएम मोदी के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अच्छे संबंध हैं और वह सीधे रूस से बात कर सकते हैं.
हालांकि, भारत के रूस से तेल खरीदना जारी रखने और रूस के खिलाफ प्रस्तावों का समर्थन करने से इनकार करने से यूक्रेन और अमेरिका नाराज हो गए. इससे पहले सितंबर में उज्बेकिस्तान में एक शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया यूक्रेन की जंग की कीमत चुका रही है. मोदी ने पुतिन से कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है और हम इस पर चर्चा करें कि शांति के मार्ग पर कैसे आगे बढ़ सकते हैं. जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर से पिछले महीने न्यूजीलैंड में जब एक सम्मेलन में पूछा गया कि आप जंग में शामिल पक्षों को बात करने के लिए राजी करने के लिए क्या कर रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि ‘हम जो कुछ भी कर सकते हैं, हम करने को तैयार हैं.’