आपसी वैमनुष्या को दर्शाती अधूरी पत्रकारिता
गुलफाम अली
हमारे देश में संगठन तो बहुत हैं व प्रभावी भी हैं अपनी समाज के लिए निष्ठावान रहते हैं समय समय पर धरना प्रदर्शन कर सरकारों को न्याय दिलाने के लिए मजबूर भी करते देखे जा सकते हैं परन्तु पत्रकारों का ऐक अलग ही रूतवा है जनाब ऐक दूसरे को छोटा बताकर अपनी बहादुरी का बखान करने में पीछे नहीं रहना चाहते अभी हाल ही में ऐक वाकया हुआ कोरोना महामारी से जंग में हरिवीर सिंह सचिव प्राधिकरण हरिद्वार जीत गये उनके जज्बे को देखते हुए तीन पत्रकारों ने उन्हे दिनांक 12-10-2020 को माला पहनाकर व गुलदस्ता तथा तुलसी का पौधा देकर सम्मानित किया भाई फिर क्या था जिन्होंने सम्मानित किया उनके लिखे हुए समाचार को देखते ही कलमें फड़कने लगीं ,सुलगने लगीं, यहाँ तक जोश में आकर आधा समाचार काट दिया पत्रकारों के नाम हटा दिये गये व ऐक व्यक्ति व्दारा सम्मानित करने का समाचार लगा कर महाभारत में विजयी होने का दावा करने लगे ,बड़ी ही शांति का अनुभव उन्हे तब हुआ जब सच लिखने का हौसला खो बैठे तथाकथित पत्रकारों ने समाचार की सच्चाई पर हमला बोला सच क्या था सच सच होता है जो चाटुकारिता से परे है सच लिखने व बोलने का हौसला होना चाहिए तो फिर सच तो यही था कि तीन व्यक्तियों ने सम्मानित किया था लिखा गया ऐक व्यक्ति यह टांग खींचो अभियान इस अभियान का अपना ऐक अलग ही मजा है अब सच तो यही कि सच छुपाने की प्रक्रिया को जनता जान चुकी है जनता अब जिन नजरों से पत्रकारों को देखती थी अब नहीं देखती क्यों? क्यों कि न्याय के लिए चलने वाली लेखनी अब अन्याय अत्याचार के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने लगी वरना चौथे स्तंभ की ताकत को कौन नहीं जानता !