जीवन में शिक्षा का महत्व (कहानी )
जून के महीना की अंतिम तारीख थी । मौसम धीरे-धीरे करवट बदल रहा था। बरसात हो जाने के कारण भीषण गर्मी में कुछ राहत आ गई थी। ठंडी हवाएं के चलने से मौसम सुहावना लगने लगा था। ठाकुर विक्रम सिंह की इकलौती लाडली 20 वर्षीय पुत्री कल्पना के विवाह होने का आज शुभ मुहूर्त का दिन था । आम रोड से ठाकुर विक्रम सिंह की कोठी तक का रास्ता रंग बिरंगी विद्युत झालरों से जगमग आ रहा था। जगह-जगह केला और आम के पत्तों के सुहावने ने दरवाजे बनाए गए थे । विक्रम सिंह की कोठी पर रिश्तेदारोंऔर व्यवहारियों का जमघट बारात के स्वगत के लिए उतावला हो रहा था । रात के 10 बजे जैसे ही ठा विक्रम सिंह को बरातआने की सूचना मिली। वह गाजे-बाजे रिश्तेदार व्यवहारियों के साथ बारात का स्वागत करने सड़क पर पहुंच गए । बारात के सभी अतिथियों का फूल मालाओं से स्वागत करने के बाद बारात को जनवासे तक पहुंचा दिया गया ।
11: बजे रात को बरात चढ़ी । बरात के आगे एक हाथी पर सबंधी अजमेर सिंह दूसरे हाथी पर सबंधी के बड़े भाई गजेंद्र सिंह सवार होकर चल रहे थे ।बजते बैंड बाजों के साथ घोड़ी पर सवार दूल्हा राजा ठा महेंद्र सिंह चल रहे थे। नाचती गाती डांस करती हुई आगे आगे रिश्तेदार महिलाएं पुरुष चल रहे थे। उनके पीछे गाड़ियों का विशाल काफिला चल रहा था। जिस पर रिश्तेदार व्यवहारी बैठे हुए बारात की शोभा बढ़ा रहे थे । चल रही आतिशबाजी आकाश में अपना तरह तरह का नजारा दिखा रही थी ।
बरात का नजारा देखने के लिए पूरे गांव की औरतें बच्चे पुरुष चबूतरो पर खड़े होकर चल रही आतिश बाजी बरात में नाचती गाती औरतों को बड़े मजे से देख रहे थे। गांव के लोग आई हुई ठाकुर साहब की शानदार अच्छी बरात की प्रशंसा कर रहे थे । बरात देखकर जब मंगली दोहरे की छोटी 12वर्षीय बेटी रामकली लौटी तो उसने अपनी 30 वर्षीय बड़ी बहन कृष्ण कली से बोली- -जीजी जब तुम्हारी शादी हुई थी ।तो मेरे दूल्हा राजा जीजा जी सड़क से घर तक पैदल आए थे और उनके पीछे पीछे सजी घोड़ी तथा बराती लोग चल रहे थे । आम सड़क से लेकर घर तक कोई सजावट नहीं की गई थी ।केवल अपने घर के दरवाजे पर ही बिजली की झालरे डाली गई थी। बड़ी आवाज करने वाले कोई भी गोला नहीं चलाए गए थे। पंडित राम दुलारे और छक्की लाल शाक्य जब बेटियों की शादी हुई थी तो धूमधाम से हुई थी। दीदी तुम्हारी शादी क्यों नहीं धूमधाम से हुई ? बड़ी बहन कृष्ण कली अपनी छोटी बहन रामकली से बोली -अभी सो जाओ ।सुबह सब बाते बताऊंगी ।जब छोटी बहन रामकली ने बड़ी बहन के सामने बहुत जिद की तो बड़ी बहन ने बताया- -इस गांव मे ऐसी रीति रिवाज है । ठाकुरों के घरों के सामने से हमारी जाति के लोग पैदल ही आते जाते है।हम लोग गरीब अशिक्षित हैं। इन ठाकुर ब्राह्मणों की ही मजदूरी करके हम लोग पल रहे हैं ।इसलिए हम लोग सिर नहीं उठा सकते हैं ।भले ही देश स्वतंत्र हो गया है। हम गरीब दलितों को आज भी यही हाल है क्योंकि हम लोग पढ़े लिखे नहीं हैं और अच्छी जगह नौकरी नहीं कर रहे है ।इसीलिए सम्मान नहीं पा पा रहे हैं। अमीर शिक्षित दलितों का आज भी समान होता है ।हम लोग शिक्षित नहीं हैं। इसीलिए बड़ी नौकरी नहीं पा रहे ।बीच में ही छोटी बहन रामकली बोल उठी -जब ऐसी बात है तो हम लोग शिक्षित क्यों नहीं हो रहे हैं ?शिक्षित होकर जब बड़े नौकरियों में जाएंगे ।पैसे वाले होंगे तो हमारी भी लोग इज्जत करें गे ।छोटी बहन की बातों को सुनकर बड़ी बहन गुस्सा हुई और बोली -अब तू सो जा । मुझे भी सोने दे। मेरा दिमाग मत खा। बड़ी बहन के डांटने पर छोटी बहन अपनी चारपाई पर जाकर सो गई ।जब रामकली सो रही थी तो उसने सपने में देखा -उसका जीजा श्रावणी केदिन उसकी जीजी को लेकर कराया हुआ है । सपने में जब जीजा के हाथ बांधी तो जीजा ने तू बहुत सुंदर है ।एक न एक दिन किसी बड़े घर जरूर जाएगी ।सपने में ही रामकली जीजा से बोली –जीजा जी मै बड़े घर में नहीं जा पाऊंगी । मेरे गांव में पांचवी दर्जा तक स्कूल है । पांच दर्जा तक पढ़ी लिखी लड़की किसी बड़े घर में नहीं जा सकती है ।
रामकली जब भी सपना देख रही थी तभी बड़ी बहन ने झकझौरते हुए जगाकर उससे कहा – सूरज निकल आया है और तू अब भी सो रही है । पापा आवाज दे रहे हैं ।भैंस गाय को जाकर चारा डाल । तुझे ठाकुर साहब के खेत पर जाकर पिताजी के साथ काम करना है । रामकली उठी। मुंह हाथ धोया । रात की बची हुई बांसी सब्जी रोटी खाई ।गाय भैंस को सानी लगाई और फिर बाप के साथ ठाकुर के खेतों पर जाकर काम करने लगी । शाम के समय बाप बेटी ठाकुर साहब से मजदूरी लेकर घर को चलेआए। रामकली अपने बापू के साथ प्रतिदिन काम पर जाती रही और ठाकुर के खेतों पर मजदूरी करती रही। समय चक्र बड़ी तेजी से चल रहा था । सावन का महीना था । राखी के त्यौहार पर बड़ी बहन भाई को राखी बांधने के लिए अपने पति के साथ आई। जीजा को देखकर रामकली बहुत खुश हुई ।जीजी जीजा के साथ रामकली ने श्रावणी का त्योहार बड़े प्रेम से मनाया । रामकली ने जीजा की खूब अच्छी तरह खातिरदारी की । रामकली ने जब जीजा के राखी बांधी तो जीजा नेग के लिए रुपया देने लगे तो रामकली बोली -जीजा जी मैं नेग नहीं लूंगी ।तुम्हारे साथ चलूंगी । जीजा जी तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो । जीजी को यहीं छोड़ दो ।मुझे साथ लेकर चलो ।रामकली की बात को सुनकर जीजाजी अपनी पत्नी की ओर देखने लगे। तभी पत्नी मुस्कुराते हुए बोली -मैं अब तुम्हारे साथ नहीं जाऊ गी ।यह रामकली हीअब तुम्हारे साथ जाएगी । तुम ने इसकी इतनी तारीफ की है कि यह तुम पर लट्टू हो गई है ।पास खड़ी सास हंसते हुए बोली- बेटा घबराते क्यों हो ? तुम्हारे साथ तुम्हारी पत्नी और तुम्हारी साली दोनों जाएगी। अब तुम्हें दोनों को रखना पड़ेगा। अपनी पत्नी और सास की बातों को सुनकर जमाई राजा घबरा गए ।सास ने देखा कि जमाई राजा घबरा रहे हैं। तो वह हंस कर बोली –रामकली तुम्हारे साथ इसलिए जाना चाहती है कि शहर में रहकर पढ़ना चाहती है ।जमाई राजा हंसते हुए बोले– मैं अपनी साली को जरूर ले जाऊंगा । अपने साहब से कहकर इसका स्कूल में एडमिशन करा दूंगा ।अब यह पढ़ लिखकर ही शिक्षित होकर गांव में आएगी। मै एसडीएम का चपरासी हूं । मेरे साहब का प्रिंसिपल से अच्छा संबंध है।
अब तो मोदी योगी सरकार ने लड़कियों को पढ़ाई के लिए बहुत सी सुविधाएं दे रखी है। मुझे जो अब सरकारी क्वार्टर मिला है उसमे एक कमरे में अलग पढ़ाई लिखाई का सब इंतजाम कर दूंगा । लेकिन साली साहब तुम्हें एक बात का ध्यान रखना होगा । तुम बहुत सुंदर हो ।शहर के लड़के मनचले दिल फेकू होते हैं ।उन के चक्कर में मत आ जाना। राम कली मुस्काई और बोली –जीजा जी आप तो दिल फेकू नहीं है? मनचले लड़कों से मुझे कोई डर नहीं है ।मै 9 इंच का चाकू अपने साथ अपने ब्लाउज के अंदर रखती हूं गांव के लड़के मुझसे इसीलिए बहुत डरते हैं। जीजा बोले –मैं भी तुमसे बहुत डरु गा। श्रावणी के त्यौहार करने के बाद रामकली अपनी बहन कृष्ण कली के साथ पढ़ाई करने के लिए शहर चली गई। जीजा ने अपने साहब एसडीएम से कहकर कॉलेज में एडमिशन करा दिया ।एडमिशन मिलने के बाद रामकली ने लगन से पढ़ाई शुरू कर दी । रामकली ने अपने जीजा के पास 11 साल रहकर लगन से पढ़ाई करके एमए की डिग्री फर्स्ट डिवीजनमें प्राप्त कर ली और आईएएस की पढ़ाई की तैयारी करने लगी । रामकली अब वास्तव में रंग रूपकी सुंदरता में गुलाब की कली हो गई थी। वो
जब भी गांव में आती ठाकुर ब्राह्मणों के लड़के उस की भोली मोहनी रंग रूप की सुंदरता को देखते रह जाते ।
कहते हैं जब किसी में आगे बढ़ने की लगन होती है तो उसकी मेहनत जरूर रंग लाती है ।जब आई एस का रिजल्ट निकला तो रामकली ने आईएएस मैं 10वां स्थान प्राप्त कर लिया । शासन ने रामकली की ट्रेनिंग करने के लिए पोस्टिंग उसके जनपद में ही कर दी ।टैनिंग करने के लिए एसडीएम के पद पर नियुक्ति हो गई । जब अपने जनपद मेंआईएस IAS ट्रेनिंग करने एसडीएम बनकर अपने जनपद में पहुंची तो उसका वहां पर भव्य स्वागत हुआ ।प्रेस वार्ता में रामकली ने कहा- अगर गरीब दलित पिछड़े वर्ग के लोग शिक्षा के लिए ध्यान दें तभी उन्हें हर जगह समाज में सम्मान मिलेगा ।समाज में अगर सम्मान पाना है तो उसे शिक्षित होना बहुत जरूरी है ।नारी जात को तभी सम्मान मिलेगा जब वह शिक्षित होगी । शिक्षित समाज से ही देश की उन्नति होती है।
प्रेस वार्ता के बाद रामकली सरकारी गाड़ी से अपने गांव पहुंची तो ठाकुर विक्रम सिंह ने उसे अपनी कोठी के सामने रोक कर उसका भव्य स्वागत किया ।रामकली ने ठाकुर साहब से कहा -अब पुरानी प्रथाओं को छोड़ दीजिए। गरीब दलित पिछड़ा वर्ग भी आपका भाई है ।आप उस से अपना अपनत्व सहानुभूति दिखाइए ।तभी हिंदू जात संगठित हो पाए गी ।इतना कहकर रामकली अपने घर पर पहुंच गई । आज उसे पूरे गांव से सम्मान मिला क्योंकि राम कली पढ़ लिखकर आईएएस बन गई थी। शिक्षा का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है।
बृज किशोर सक्सेना किशोर
इटावीकचहरी रोड मैनपुरी