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जायें तो जायें कहाँ कौन सुनेगा फरियादी की फरयाद

स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक

हरिद्वार (उत्तराखंड)। हीरो मोटोकॉर्प, हरिद्वार के प्रबंधन के अन्याय के ख़िलाफ़ 3 वर्षों से संघर्षरत श्रमिक अरुण कुमार सैनी ने प्रबंधन और श्रम अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि गलत का विरोध करने के कारण प्रबंधन ने उन्हें 3 सालों से गैरकानूनी रूप से बाहर कर रखा है।

श्रमिक अरुण कुमार सैनी ने ‘मेहनतकश’ को बताया कि वे 11 वर्षों से हीरो मोटोकॉर्प कंपनी हरिद्वार में कार्य कर रहा था। मात्र 2 लड़कों की शिकायत पर कंपनी प्रबंधन ने उनको 23 सितम्बर, 2017 को फर्जी आरोपों में निलंबित किया और फर्जी जाँच कर उन्हें बर्खास्त कर दिया। जसकी शिकायत महामहिम राष्ट्रपति महोदय, मुख्यमंत्री महोदय, राज्यपाल महोदया व सभी आला अधिकारियों को भुक्तभोगी ने की परन्तु वाह रे सिस्टम वही ढांक को दो पांत किसी ने ऐक दुखयारे मजदूर की पीड़ा नहीं सुनी सुने भी क्यों भाई जब बिना सुने पूरी सैलरी व गाड़ी, बंगला, व साथ में रायता सब कुछ मिल रहा हो तो क्यों जहमत मोल लेगा कोई वह भी हीरो से मामला हीरो का है साहब देश में चार लोगों को आजादी मिली है नेता, अभिनेता, क्रिकेट मैंच का खिलाड़ी, सरकारी कर्मचारी इसके अलावा जो खुद को आजाद समझने की भूल कर रहे हैं उनकी यह बेवकूफी ही उनकी परेशानियों का सबब है ! न्याय ना मिलने पर चिल्लाने का अधिकार, बिना कुछ दिये काम ना होने का अधिकार, समय पर टेक्स भरने का अधिकार, भूल से गलती होने पर चालान कटवाने का अधिकार तमाम अधिकार हम संभाल नहीं पा रहे हैं यही तो हमारी बेवकूफी है जो क्या जब हम सब बेवकूफ है तो यह बेवकूफ तंत्र तो नहीं है भाई ? तो फिर इसे लोक तंत्र क्यों कहते हैं हम तो हमेशा बेवकूफ बनते आ रहे हैं अस्पतालों में मरीज भले ही मर जाये पर लाश तभी मिलती है जब पेमेंट कर दिया जाये क्या यह भी लाश ना मिलने के अधिकार में शामिल है गजब की आजादी है ना तो जी सकते हैं ना ही मर सकते हैं !

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